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हमें तो बस डुबकी लगानी है

जाम लगे या जान जाएं, हमें तो बस डुबकी लगानी है, कुछ इसी तर्ज पर जिसे देखो महाकुंभ में डुबकी लगाने को आतुर दिख रहा है

हमें तो बस डुबकी लगानी है
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- विनोद कुमार विक्की

जाम लगे या जान जाएं, हमें तो बस डुबकी लगानी है, कुछ इसी तर्ज पर जिसे देखो महाकुंभ में डुबकी लगाने को आतुर दिख रहा है।
'म' वर्ण से बनने वाले शब्दों अथवा घटनाओं के कारण 'म' से महाकुंभ 2025 कई मामलों में सुर्खियां बटोर रहा है। माया, महामाया, मनोहर एवं मनोरंजक मिश्रित दृश्य वाले महाकुंभ में श्रद्धालुओं की विभिन्न कोटियां मनोवांछित मतलब के उद्देश्य से मेले में चलते, गिरते-पड़ते और भटकते हुए दिखाई दे रहे हैं।
'म' से मर्द, मेहरारू, महापुरुष, महिला, मामूली मानव, मठाधीश से मुख्यमंत्री तक, हर कोई संगम में तन को मन से गीला करने में लगा हुआ है।

कोई 'म' से मल या मैल धोने, कोई 'म' से मोक्ष प्राप्त करने, अथवा 'म' से मनोरथ सिद्ध करने, तो कुछ 'म' से मानव जीवन धन्य करने के लिए डुबकी पर डुबकी लगाए जा रहा है। इन मामूली मानवों से माननीयों के मंगलाचरण के लिए मिलियन की संख्या में, 'म' से मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति भी की गई है।

पाठकों को बता दें कि समुद्र मंथन से अप्सरा रंभा निकली थी उसी तरह महाकुंभ मंथन 2025 में 'म' से मनका (माला) बेचने वाली मलका(सुंदर स्त्री) का अवतरण हुआ है। 'म' से मोनालिसा का जादू महाकुंभ में ऐसा छाया कि कई लोग उसके साथ सेल्फी लेकर शाही स्नान वाला पुण्य प्राप्त कर लिए और कुछ अभी भी प्राप्ति में लगे हुए हैं।
इस महाकुंभ में 'म' से मत्सरी महात्मा अर्थात गुस्सैल साधु महाराज का भौकाल भी देखते ही बन रहा है। साइलेंट प्रवृत्ति वाले महात्मा का वाइलेंट मोड वाला वीडियो कब वायरल हो जाये यह महादेव को भी नहीं मालूम। बाबाजी के एट्टीट्यूड से ऐसा प्रतीत होता है कि तथाकथित महात्मा जी आम जन की तरह महंगाई, परिवार, रोज़गार अथवा राष्ट्रीय मुद्दे की चिंता से तनावग्रस्त हैं। रौद्र रुप धारण करते हुए आंतरिक मनोविकार को कभी किसी यूट्यूबर पर, तो कभी किसी अन्य पर थप्पड़, लाठी, चिमटा और त्रिशूल तान कर निकाल रहे हैं।

इसी बीच खबर आ रही है कि 'म' से ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर बनने से कई लोगों का हाजमा खराब हो गया है। ऐसा लग रहा है कि सुंदरी से साध्वी बनने वाले कृत्य पर भले ही उनको राणाजी माफ कर दें लेकिन उनके फैंस और विरोधी कभी माफ नहीं करेंगे।
'म' से मौनी अमावस्या वाले दिन मचे भगदड़ के कारण मोक्ष की बजाय मृत्यु प्राप्त होने वाले दर्जनों श्रद्धालुओं ने न्यूज चैनल और राजनीतिक पार्टियों को सर्दियों में गरमागरम 'म' से मुद्दा उपलब्ध कराने में महती भूमिका निभाई।

'म' से मुसा$िफर को महाकुंभ तक पहुंचने अथवा घर वापसी के लिए यात्रा के दौरान जो 'म' से मशक्कत करनी पड़ रही है, वह देखते ही बनती है। ट्रेन के अंदर घुसने के लिए एक-दूसरे पर बोतल का पानी फेंकना, धक्का-मुक्की करना, ट्रेन की बंद दरवाजे-खिड़कियों को पीटना, ट्रेन की बंद गेटों पर लटक कर रेलवे यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं की जो तस्वीरें और वीडियो सामने आ रही है वह इस बात का प्रमाण है कि जनसंख्या के मामले में हम विश्व गुरु हैं और भीड़ जुटाने के मामले में हमारा कोई वैश्विक जोड़ीदार नहीं है। ओवरलोडेड ट्रेन अथवा बसों में सीट प्राप्त कर लेना लंबी दूरी के श्रद्धालुओं के लिए शाही स्नान से कम नहीं माना जा रहा है। लंबी दूरी एवं लंबी अवधि वाले महाजाम के बीच गंतव्य तक पहुंच पाना मोक्ष प्राप्त करने से कम नहीं माना जा रहा है।

'म' से मज़े की बात यह है कि महाकुंभ की मजलिस में एक ओर 'म' से मक्कार प्रवृत्ति वाले मानव दूसरों का माल, मनी, मोबाइल चुराकर मालामाल बनने की जुगत में लगा हुआ है, तो दूसरी ओर छोटी-बड़ी गाड़ियों में सवार कुछ यात्री अमृत स्नान कर लौटते वक्त, तो कुछ अमृत स्नान को जाते वक्त दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण यमराज का मार्च क्लोजिंग वाला डाटा $फरवरी माह में ही पूरा करने में सहयोग कर रहे हैं।

बहरहाल 'म' से महाजाम, मनोहारी और मदहोश करने वाले दृश्यों के बीच सोशल मीडिया पर तौलिया में स्नान को जाती हुई युवती अथवा बाबाजी के साथ सेल्फी लेती हुई देशी-विदेशी महिलाओं की कुछ अनसेंसर्ड तस्वीरें अथवा वीडियो भी सामने आ रही है, जिनके व्यूज को देखकर इस बात का आकलन किया जा सकता है कि मेटा के उपभोक्ता भी महाकुंभ के विभिन्न स्नानों में मानसिक गोता लगा रहे हैं।


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