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चीन में तेजी से आगे बढ़ रहा है दिमाग में चिप डालने का प्रोजेक्ट

एक चीनी रिसर्च संस्थान और एक टेक कंपनी ने तीन मरीजों के दिमाग में एक ब्रेन चिप सफलतापूर्वक डाल दी है. साल के अंत तक 13 मरीजों में चिप डालने का लक्ष्य पूरा हो गया तो वो इलॉन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक से आगे निकल जाएंगे

चीन में तेजी से आगे बढ़ रहा है दिमाग में चिप डालने का प्रोजेक्ट
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एक चीनी रिसर्च संस्थान और एक टेक कंपनी ने तीन मरीजों के दिमाग में एक ब्रेन चिप सफलतापूर्वक डाल दी है. साल के अंत तक 13 मरीजों में चिप डालने का लक्ष्य पूरा हो गया तो वो इलॉन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक से आगे निकल जाएंगे.

बीजिंग में स्थित चाइनीज इंस्टीट्यूट फॉर ब्रेन रिसर्च (सीआईबीआर) और न्यूसाइबर न्यूरोटेक की इस चिप का नाम है बेनाओ नंबर वन. सीआईबीआर के निदेशक और न्यूसाइबर के मुख्य वैज्ञानिक लुओ मिनमिन ने बताया कि पिछले एक महीने में तीन मरीजों में यह चिप लगा दी गई है.

साल के अंत तक 10 और मरीजों में चिप लगाने का लक्ष्य है. सरकारी कंपनी न्यूसाइबर की महत्वाकांक्षा इससे भी बड़ा ह्यूमन ट्रायल करने की है. एक टेक सम्मेलन के इतर पत्रकारों से बात करते हुए मिनमिन ने कहा, "अगले साल नियामक स्वीकृति मिलने के बाद हम औपचारिक क्लीनिकल ट्रायल करेंगे जिसमें करीब 50 मरीज शामिल होंगे."

अमेरिकी कंपनियों से लोहा

मिनमिन ने फंडिंग या ट्रायल कब तक चलेगा, इसके बारे में जानकारी नहीं दी. लेकिन ह्यूमन ट्रायल्स की गति बढ़ा देने की वजह से मुमकिन है कि बेनाओ नंबर वन पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मरीजों वाला ब्रेन चिप बन जाएगा. यह दुनिया की अग्रणी ब्रेन चिप कंपनियों से लोहा लेने की चीन की दृढ़ता को रेखांकित करता है.

इस समय इस क्षेत्र में दुनिया की सबसे अग्रणी कंपनी है अमेरिका की सिन्क्रॉन, जिसके निवेशकों में जेफ बेजोस और बिल गेट्स जैसे अरबपति शामिल हैं. सिन्क्रॉन 10 मरीजों में ब्रेन चिप डाल चुकी है, जिनमें से छह अमेरिका में हैं और चार ऑस्ट्रेलिया में.

ब्रेन इम्प्लांट का कमाल का असर

मस्क की न्यूरालिंक के पास इस समय तीन मरीज हैं. न्यूरालिंक ऐसे वायरलेस ब्रेन चिप पर काम कर रही है जिसे सिग्नल की गुणवत्ता को अधिकतम करने के लिए दिमाग के अंदर डाल दिया जाता है. जबकि उसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनियां सेमि-इनवेसिव चिप पर काम कर रही हैं जिसे दिमाग की सतह पर रखा जाता है.

इसे ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) सिस्टम्स कहा जाता है. इससे सिग्नल की गुणवत्ता तो थोड़ी कम रहती है लेकिन इसमें दिमाग के टिश्यू को नुकसान पहुंचने और सर्जरी के बाद होने वाली अन्य परेशानियों का खतरा कम रहता है.

कैसे मदद कर रहा है चिप

मार्च में चीन की सरकारी मीडिया द्वारा जारी किए गए वीडियो में किसी तरह के लकवे से ग्रसित मरीजों को बेनाओ नंबर वन की मदद से एक रोबोटिक हाथ का नियंत्रण करते हुए दिखाया गया. इस हाथ से उन्होंने एक कप में पानी भरा और यहां तक कि अपने विचारों को एक कंप्यूटर स्क्रीन पर ट्रांसमिट भी किया.

मिनमिन ने यह भी बताया, "जब से बेनाओ नंबर वन के सफल ह्यूमन ट्रायल की खबर बाहर आई है, हमें मदद की अनगिनत अपीलें मिली हैं." उन्होंने बताया कि न्यूरालिंक की चिप से मिलता-जुलता बेनाओ नंबर टू का एक वायरलेस रूप विकसित किया जा रहा है और उन्हें उम्मीद है कि अगले 12 से 18 महीनों में उसका पहला ह्यूमन ट्रायल कर लिया जाएगा.

क्या है न्यूरालिंक का प्रोजेक्ट

सिन्क्रॉन ने हाल ही में चिप बनाने वाली कंपनी एनवीडिया के साथ एक साझेदारी की घोषणा की, जिसके तहत सिन्क्रॉन के बीसीआई सिस्टमों के साथ एनवीडिया के एआई प्लेटफॉर्म को जोड़ दिया जाएगा.

मिनमिन ने कहा कि वो भी फंडिंग के लिए सक्रिय रूप से निवेशकों से बात कर रहे हैं लेकिन उनके साथ साझेदारी करने वाले कंपनी को तुरंत मुनाफा कमाने पर ध्यान ना देकर भविष्य के बारे में सोचना होगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बेनाओ का चीन की सेना से कोई संबंध नहीं है और उसने अपना ध्यान अलग-अलग किस्म के लकवे से पीड़ित मरीजों की मदद करने में लगाया हुआ है.


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