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महंगाई बढ़ाने वाले वन्य जीवों की गिनती करेगा श्रीलंका

करीब एक लाख बंदरों को चीन भेजने की नाकाम योजना के बाद श्रीलंका अब देश भर में जंगली सूअर, बंदर, मोर और लोरिज की गिनती करने जा रहा है

महंगाई बढ़ाने वाले वन्य जीवों की गिनती करेगा श्रीलंका
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करीब एक लाख बंदरों को चीन भेजने की नाकाम योजना के बाद श्रीलंका अब देश भर में जंगली सूअर, बंदर, मोर और लोरिज की गिनती करने जा रहा है.

श्रीलंका के कृषि मंत्रालय ने कहा है कि हजारों अधिकारी और वॉलिंटियर्स, 15 मार्च से वन्यजीव गणना के काम में जुटेंगे. अधिकारियों के अनुमान के मुताबिक श्रीलंका में कुल कृषि उत्पादन का एक तिहाई हिस्सा वन्य जीव तबाह कर देते हैं.

खेतों और बागानों में फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले वन्य जीवों में जंगली सूअर, बंदर, मोर, लोरिस और हाथी शामिल हैं. हाथी श्रीलंका में संरक्षित वन्य जीवों की सूची में आते हैं और सामाजिक व धार्मिक नजरिए से पवित्र माने जाते हैं.

बुधवार को श्रीलंका के कृषि मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा, "इस गणना के सहारे वन्य जीवों द्वारा फसलों को होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए टिकाऊ उपाय खोजने में मदद मिल सकेगी."

महंगाई के लिए जानवर जिम्मेदार

नई योजना का एलान करते हुए कृषि मंत्रालय ने कहा कि फलों और सब्जियों के ऊंचे दाम का कारण ये परजीवी हैं. मंत्रालय के मुताबिक चाहे बड़े खेत हो या बागान या फिर घरों के छोटे गार्डन, इन वन्य जीवों का दखल हर जगह है.

केरल में क्यों बढ़ रहा इंसान और हाथी के बीच का संघर्ष

2023 में श्रीलंका ने करीब 1,00,000 बंदरों को चीन के चिड़ियाघरों तक पहुंचाने का प्लान बनाया. शुरुआत में कुछ बंदर समुद्री जहाज के जरिए चीन भेजे भी गए. लेकिन बाद में पर्यावरण प्रेमियों के तीखे विरोध के कारण बंदरों के इस निर्वासन को रद्द करना पड़ा.

उसी साल देश में वन्य जीवों की कई प्रजातियों को संरक्षण की सूची से बाहर कर दिया. इनमें बंदरों की तीन प्रजातियां, मोर और जंगली सूअर शामिल हैं. इस बदलाव के बाद किसानों को इन वन्य जीवों को मारने की अनुमति मिल गई.

हाथी और इंसान का टकराव

हाथियों को फिलहाल इस मुहिम से बाहर रखा गया है. श्रीलंका में इंसान और हाथियों का टकराव भी बड़ी समस्या बना हुआ है.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक बीते 10 साल में इस टकराव के चलते 1,200 इंसान और 3,500 हाथी मारे जा चुके हैं. हाथियों के झुंड को इंसानी बस्ती से दूर रखने के लिए सरकार ने बिजली की बाड़ और बढ़ाने का एलान किया है. लेकिन ऐसी कोशिशें भी इंसान और हाथी के टकराव को रोकने में सफल नहीं हुई हैं.

हाथियों के झुंड आज भी अपने सदियों पुराने रास्ते इस्तेमाल करते आ रहे हैं. लेकिन इस बीच जलवायु परिवर्तन और घटते प्राकृतिक आवास के कारण वन्य जीव भोजन की तलाश में इंसानी बस्तियों का रुख करने पर मजबूर हो रहे हैं.

वन्य जीव विशेषज्ञों के मुताबिक इन वन्य जीवों में भी हाथी खासतौर पर बेहद समझदार होते हैं. उनके सामने कोई तरकीब तीन चार बार ही काम करती है, इसके बाद हाथी धीरे धीरे उस समस्या का तोड़ निकाल लेते हैं. इसी वजह से श्रीलंका, भारत और अफ्रीकी देशों में इंसान और हाथियों को टकराव लगातार सामने आता रहता है.


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