25 साल पुराने पुलों का होगा सेफ्टी ऑडिट,हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को अपने महत्वपूर्ण निर्णय में प्रदेश में 25 साल पूरे कर चुके पुलों की सेफ्टी आडिट (सुरक्षा आडिट) का निर्णय लिया है। अदालत ने आडिट की समयावधि के मामले में प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को अपने महत्वपूर्ण निर्णय में प्रदेश में 25 साल पूरे कर चुके पुलों की सेफ्टी आडिट (सुरक्षा आडिट) का निर्णय लिया है। अदालत ने आडिट की समयावधि के मामले में प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और वरिष्ठ न्यामयूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ ने यह निर्णय आंदोलनकारी और विकास नगर निवासी रघुनाथ सिंह नेगी की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान लिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित आसन बैराज के पास पूर्वी यमुना नहर पर बने कुल्हाल पावर प्लांट को जोड़ने वाले मार्ग पर आधा दर्जन पुल बेहद जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं।
खनन में लगे भारी वाहन साठ के दशक में बने इन पुलों के लिये खतरा बन गये हैं। इन पुलों पर खनन लदे भारी वाहन बेखौफ दौड़ रहे हैं। इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
दूूसरी ओर सरकार की ओर से इन पुलों की तकनीकी रिपोर्ट पेश करते हुए स्वीकार किया गया कि ये पुल कमजोर हो गये हैं। सरकार ने इन पुलों पर भारी वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। साथ ही वाहनों की रोकथाम के लिये पुलों पर बैरियर लगाये जायेंगे।
सुनवाई के दौरान यह बिन्दु भी अदालत के समक्ष आया कि खनन के चलते प्रदेश में पुलों को खतरा उत्पन्न हो गया है। इसके बाद अदालत ने प्रदेश में 25 साल की अवधि पूरी कर चुके पुलों का सेफ्टी आडिट कराने का निर्णय ले लिया।
अदालत ने महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर से पुलों की सेफ्टी आडिट की समयावधि को लेकर सरकार से छह दिसंबर तक जवाब देने को कहा है। अदालत ने पूछा है कि राज्य सरकार सुरक्षा जांच कितनी अवधि में पूरी कर लेगी। इस मामले में आगामी 6 जनवरी को सुनवाई होगी।


