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वायु प्रदूषण की वजह से हर दिन 100 से ज्यादा बच्चों की हुई मौत: यूनिसेफ

पूर्वी एशियाई देशों में प्रदूषित हवा का असर लोगों के जीवन पर हो रहा है. वायु प्रदूषण की वजह से यहां हर दिन पांच साल से कम उम्र के 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई

वायु प्रदूषण की वजह से हर दिन 100 से ज्यादा बच्चों की हुई मौत: यूनिसेफ
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पूर्वी एशियाई देशों में प्रदूषित हवा का असर लोगों के जीवन पर हो रहा है. वायु प्रदूषण की वजह से यहां हर दिन पांच साल से कम उम्र के 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई.

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में इन दिनों वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. खराब हालात की वजह से स्कूलों को बंद करने के आदेश दे दिए गए हैं. यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट में पूर्वी एशियाई देशों और प्रशांत क्षेत्र से जुड़े इलाकों में वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों पर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

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हर दिन 100 बच्चों की मौत

यूनिसेफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण से जुड़े कारणों से साल 2021 में इन इलाकों में हर दिन पांच साल से कम उम्र के 100 से ज्यादा बच्चों ने अपनी जान गंवाई.

रिपोर्ट में बताया गया है कि इन इलाकों में रहने वाले 50 करोड़ बच्चे ऐसे देशों में रहते हैं जहां वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. खाना बनाने और गर्मी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन से होने वाला घरेलू वायु प्रदूषण पांच साल से कम उम्र के आधे से ज्यादा बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार है.

32 करोड़ से ज्यादा बच्चे ऐसे देशों में रहते हैं जहां सालाना पीएम2.5 का औसत स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा सुझाए गए स्तर से पांच गुना ज्यादा है. 37 करोड़ से ज्यादा बच्चे ऐसे देशों में रहते हैं जहां नाइट्रोजन ऑक्साइड खतरनाक स्तर पर है.

यूनिसेफ की पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक जून कुनूगी कहती हैं कि हर सांस कीमती है, लेकिन बहुत से बच्चों के लिए यह नुकसान पहुंचाने वाली हो सकती है. उन्होंने कहा, "जब उनका शरीर और दिमाग विकसित हो रहा होता है, तब वो ऐसी हवा में सांस लेते हैं जो उनके विकास को प्रभावित करती है."

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वायु प्रदूषण पूर्वी एशियाई देशों और प्रशांत क्षेत्र में पांच साल के कम उम्र के लगभग चार में से एक बच्चे की मौत का कारण है और उनके जीवन और विकास को प्रभावित कर सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार बच्चों पर प्रदूषण के असर की शुरुआत गर्भ से ही हो जाती है, जिससे समय से पहले प्रसव और कम वजन के साथ पैदा होने वाली बच्चों जैसी समस्याएं देखी जाती हैं. बच्चे तेजी से सांस लेते हैं, इसलिए वे प्रदूषकों के संपर्क में आने की वजह से अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं. लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से डायबिटीज और दिल से जुड़ी कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.

स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ता बोझ

वायु प्रदूषण बच्चों के स्वास्थ्य से ज्यादा पहले से बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर डालता है. इससे न सिर्फ उनकी सीखने की क्षमता प्रभावित होती है बल्कि बीमारी की वजह से स्कूलों में अनुपस्थिति, मस्तिष्क का विकास रुकने जैसी तमाम समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

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बीमार बच्चों की देखभाल का खर्च माता-पिता की आय को प्रभावित करता है. विश्व बैंक का अनुमान है कि 2019 में, वायु प्रदूषण की वजह से पूर्वी एशियाई और प्रशांत क्षेत्र में लोगों की असमय मौत और बीमारियों की वजह से होने वाला खर्च वहां की जीडीपी का 9.3 फीसदी था, जो 25 खरब डॉलर से भी ज्यादा है.


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