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महुआ : प्रकृति का अनमोल उपहार, औषधीय गुणों की खान

भारत के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में पाए जाने वाले महुआ का नाम सुनते ही एक मीठी सुगंध और बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं। महुआ (वैज्ञानिक नाम: मधुका लॉन्गीफोलिया) एक ऐसा वृक्ष है जिसके फूल और फल दोनों ही स्वास्थ्य और जीवन शैली के लिए लाभकारी हैं। यह पेड़ न केवल पोषण देता है, बल्कि पारंपरिक चिकित्सा और सांस्कृतिक प्रथाओं में भी गहराई से जुड़ा हुआ है। कई पारंपरिक गीतों और कथाओं में इसका उल्लेख मिलता है

महुआ : प्रकृति का अनमोल उपहार, औषधीय गुणों की खान
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नई दिल्ली। भारत के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में पाए जाने वाले महुआ का नाम सुनते ही एक मीठी सुगंध और बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं। महुआ (वैज्ञानिक नाम: मधुका लॉन्गीफोलिया) एक ऐसा वृक्ष है जिसके फूल और फल दोनों ही स्वास्थ्य और जीवन शैली के लिए लाभकारी हैं। यह पेड़ न केवल पोषण देता है, बल्कि पारंपरिक चिकित्सा और सांस्कृतिक प्रथाओं में भी गहराई से जुड़ा हुआ है। कई पारंपरिक गीतों और कथाओं में इसका उल्लेख मिलता है।

स्वास्थ्य और संस्कृति का अभिन्न अंग होने के साथ यह महुआ प्रकृति का श्रृंगार भी करता है क्योंकि जब आम में मंजरी (बौर) और महुआ में कूंच (कली) एक साथ खिलते हैं, तो यह संकेत होता है बसंत ऋतु का आगमन होने जा रहा है। महुआ के फूल रात भर पेड़ से टपकते हैं। महुआ के बड़े-बड़े बगीचों को "मऊहारी" कहा जाता है जो अब पहले की तुलना में कम देखने के लिए मिलते हैं।

महुआ के फूल सुगंधित और मीठे होते हैं, जिनमें उच्च मात्रा में शर्करा होती है। इस वजह से इन्हें ताजा खाए जाने पर स्वाद किसी मिठाई सा होता है और सूखने पर यह किशमिश जैसे ड्राई फ्रूट सरीखे हो जाते हैं। अपनी मिठास के चलते महुआ के ताजे फूलों से पकवान भी बनाए जाते हैं। इन मिठास से भरे फूलों का रस निकालकर उसमें आटा गूंथकर ठकुवा, लापसी आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। सूखे फूलों को भूनकर और ओखली में कूटकर "लाटा" बनाया जाता है, जो ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। इस तरह से महुआ के फूल ताजा या सुखाकर भी खाए जाते हैं और इनसे कई व्यंजन बनाए जाते हैं। ऐसे ही तिनछठी व्रत में भी महुआ के सूखे फूलों का इस्तेमाल प्रसाद बनाने में होता है।

मार्च से अप्रैल तक आने वाले महुआ के फूलों का उपयोग पारंपरिक रूप से गाय-भैंसों को खिलाने के लिए भी किया जाता है, जिससे दूध उत्पादन बढ़ता है। इसके अलावा, इन फूलों का इस्तेमाल करके किण्वन प्रक्रिया से "महुआ शराब" भी बनाई जाती है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय है। हालांकि महुआ के फूल और फल आमतौर पर सुरक्षित हैं, फिर भी अधिक मात्रा में महुआ शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण महुआ के फूल औषधीय गुणों की भी खान हैं। यह फूल ऊर्जा बढ़ाने के साथ-साथ श्वसन समस्याओं जैसे सर्दी, खांसी और ब्रोंकाइटिस में राहत प्रदान कर सकते हैं। सूखे फूलों को भिगोकर पीसकर बांधने से सूजन, दर्द और मोच में राहत मिलती है।

फूलों का मौसम खत्म होने के बाद महुआ के पेड़ पर इसके फल "कोइन" की बारी आती है। कच्चे फलों को छीलकर उबालकर सब्जी के रूप में खाया जाता है। महुआ के पेड़ की उत्पादकता भी अच्छी होती है। पके हुए फल का गूदा मीठा होता है। घर की बुजुर्ग महिलाएं इसका गूदा अलग करती हैं और बीज निकाल लेती हैं। इसका बीज के ऊपरी खोल का हिस्सा बहुत सख्त होता है जिसे भिगोया जाता है। महुआ के बीज में काफी मात्रा में तेल होता है जिसके विविध उपयोग हैं। एक तरफ यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है तो साबुन, डिटर्जेंट आदि बनाने में भी इसके तेल का उपयोग होता है।

महुआ के बीज के तेल का घर में भी उपयोग होता है। हालांकि इसके कसैले स्वाद को ठीक करने के लिए इसे नींबू की पत्ती के साथ पकाया जाता है। एक बार पकने के बाद यह गुणों से भरपूर तेल रिफाइंड का बहुत अच्छा विकल्प बन जाता है। तेल का उपयोग शरीर पर लगाने से त्वचा का रूखापन दूर होता है और यह प्राकृतिक मॉइस्चराइजर का काम करता है।

इस तरह से महुआ सिर्फ एक पेड़ नहीं, बल्कि प्रकृति का वह उपहार है जो स्वास्थ्य, स्वाद और संस्कृति को एक साथ जोड़ता है। इसके फूलों की मिठास हो या फलों का औषधीय गुण, महुआ हर रूप में जीवन को समृद्ध करता है।


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