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भारत ने 78वीं डब्ल्यूएचए में वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिबद्धता दोहराई

भारत ने जिनेवा में 78वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) में वैश्विक स्वास्थ्य समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई

भारत ने 78वीं डब्ल्यूएचए में वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिबद्धता दोहराई
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नई दिल्ली। भारत ने बुधवार को जिनेवा में 78वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) में वैश्विक स्वास्थ्य समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 'आयुष्मान भारत' जैसी प्रमुख योजना के तहत किए गए परिवर्तनकारी कदमों पर जोर दिया, जिसने स्वास्थ्य सेवा का व्यापक रूप से विस्तार किया है।

उन्होंने कहा, "इस कार्यक्रम ने स्वास्थ्य सेवा की पहुंच का व्यापक स्तर पर विस्तार किया है, बुनियादी ढांचे में सुधार किया है, बेहतर उपचारों के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान की है और डिजिटल स्वास्थ्य अपनाने में तेजी लाई है, जिससे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में मार्ग प्रशस्त हुआ है।"

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने मातृ स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, बाल मृत्यु दर और मृत जन्मों में कमी लाने के लिए भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "भारत को हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने ट्रेकोमा-मुक्त के रूप में प्रमाणित किया था। देश तपेदिक (टीबी), कुष्ठ रोग, लसीका फाइलेरिया, खसरा, रूबेला और कालाजार जैसी बीमारियों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।"

उन्होंने आगे कहा, "एक प्रमुख नीतिगत कदम में, भारत ने आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य कवरेज बढ़ाया है।"

स्वास्थ्य सचिव ने कहा, "हमने भविष्य के स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए पिछले दशक में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़ाकर 780 कर दी है।"

श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षमताओं का सम्मान करते हुए वैश्विक सहयोग को बढ़ाने वाले कानूनी, बाध्यकारी ढांचे के लिए भारत के मजबूत समर्थन को भी दोहराया। उन्होंने महामारी संधि को आगे बढ़ाने की दिशा में की गई ऐतिहासिक प्रगति पर डब्ल्यूएचओ और सदस्य देशों को बधाई भी दी।

डब्ल्यूएचए में डब्ल्यूएचओ के सदस्य देशों के सर्वसम्मति से अपनाए गए समझौते का उद्देश्य भविष्य की महामारियों के मामले में वैश्विक स्वास्थ्य सेवा अंतराल और असमानताओं को पाटना है।

उन्होंने भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के महत्व पर जोर दिया और यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई कि कोई भी पीछे न छूटे।


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