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जहाजों का प्रदूषण घटने से बढ़ ना जाए ग्लोबल वॉर्मिंग

जहाजों के ईंधन में सल्फर के स्तर की कटौती की गई है. वैज्ञानिकों को संदेह है कि यह प्रदूषण कम होने से कहीं ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ ना जाए

जहाजों का प्रदूषण घटने से बढ़ ना जाए ग्लोबल वॉर्मिंग
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जहाजों के ईंधन में सल्फर के स्तर की कटौती की गई है. वैज्ञानिकों को संदेह है कि यह प्रदूषण कम होने से कहीं ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ ना जाए.

वैश्विक तापमान बढ़ने का मुख्य कारण जीवाश्म ईंधन जलाने से निकलने वाली गर्मी को पकड़ने वाली गैसें हैं. लेकिन वैज्ञानिक यह भी देख रहे हैं कि 2020 में जहाजों के लिए स्वच्छ, कम-सल्फर वाले ईंधन का उपयोग शुरू होने से गर्मी बढ़ी है या नहीं. यह बदलाव वायुमंडल में उन कणों को कम कर सकता है जो सूरज की गर्मी को वापस अंतरिक्ष में भेजते हैं.

यह चर्चा तब और तेज हो गई जब जनवरी 2025 को अब तक का सबसे गर्म महीना आंका गया. यह असामान्य गर्मी जून 2023 से लगातार बनी हुई है. 2024 अब तक का सबसे गर्म साल रहा था.

समुद्री ईंधन में सल्फर की कटौती

1 जनवरी 2020 से, कंटेनर जहाजों, तेल टैंकरों और अन्य बड़े जहाजों के ईंधन में सल्फर की मात्रा 3.5 फीसदी से घटाकर 0.5 फीसदी कर दी गई. यह नियम संयुक्त राष्ट्र की संस्था अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) ने लागू किया, जो समुद्री व्यापार और उसके पर्यावरणीय प्रभाव को नियंत्रित करता है.

सल्फर ऑक्साइड के छोटे कण इंसानों के लिए खतरनाक होते हैं. ये स्ट्रोक, फेफड़ों और हृदय से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकते हैं. कई जगहों पर सख्त नियम लागू हैं, जैसे कि बाल्टिक सागर, उत्तरी सागर, उत्तरी अमेरिका और कैरिबियाई समुद्र क्षेत्र.

आईएमओ का अनुमान है कि इस ईंधन नियम से हर साल 85 लाख टन सल्फर ऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा. एक अध्ययन के मुताबिक, 2019 से 2020 के बीच जहाजों से सल्फर ऑक्साइड उत्सर्जन 74 लाख टन घट गया.

2023 में आईएमओ के निरीक्षण में केवल दो जहाज ऐसे पाए गए जो 0.5 फीसदी से अधिक सल्फर वाले ईंधन का उपयोग कर रहे थे. 2020 के बाद से अब तक सिर्फ 67 उल्लंघन दर्ज किए गए हैं.

जलवायु पर असर

सल्फर ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड या मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैस नहीं है. यह बादलों को अधिक चमकदार बनाती है, जिससे सूरज की गर्मी वापस अंतरिक्ष में परावर्तित होती है.

लेकिन 2020 के बाद इन कणों की अचानक कमी से वैश्विक तापमान पर असर पड़ा है. फ्रांस के राष्ट्रीय विज्ञान अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक ओलिविएर बुशे के मुताबिक, जहाजों के प्रमुख मार्गों पर बादलों में बदलाव देखा गया है. अब वहां बड़े कण अधिक हैं, जो सूरज की रोशनी को कम परावर्तित करते हैं.

हालांकि, वैज्ञानिक अभी यह नहीं कह सकते कि इस बदलाव से तापमान में कितनी वृद्धि हुई है. अगस्त 2023 में छपे एक अध्ययन के अनुसार, आईएमओ के नए नियमों के कारण 2029 तक हर साल तापमान में लगभग 0.05 डिग्री सेल्यियस की वृद्धि हो सकती है.

2023 की असाधारण गर्मी में इस बदलाव का योगदान रहा, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि अन्य कारण भी इसके पीछे हो सकते हैं.


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