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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अन्य भाषाओं को महत्व देने पर दिया जोर

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने युवकों को 21वी सदी के जरूरतों के अनुरूप कौशल युक्त और ज्ञान से लेस करने के लिए पूरी शिक्षा व्यस्था में अमूल-चूर प्रयत्न करने की सलाह दी

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अन्य भाषाओं को महत्व देने पर दिया जोर
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बेंगलुरु । उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने युवकों को 21वी सदी के जरूरतों के अनुरूप कौशल युक्त और ज्ञान से लेस करने के लिए पूरी शिक्षा व्यस्था में अमूल-चूर प्रयत्न करने की सलाह दी है और मात्र भाषा के साथ-साथ अन्य भाषाओं को भी उचित महत्व देने पर जोर दिया।

नायडू ने रविवार को यहां सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ़ हायर लर्निंग के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि किसी संस्थान के पचास साल पूरा होना ख़ास मायने रखता है और इस संस्थान की उपलब्धियों ने यह साबित किया है कि उसने सत्य साई बाबा जैसे विलक्षण एवं आध्यात्मिक गुरु की जीवन दृष्टि को साकार किया है। साई बाबा ने दुनिया भर के लाखो लोगों को प्रेरणा दी हैं और मानवता की सेवा के लिए सक्रिय योगदान किया है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा देश की प्रगति का एक प्रमुख प्रेरक है और किसी देश के नागरिक तभी समृद्ध होते हैं जब वे शिक्षित हो। उन्होंने नयी शिक्षा निति के मसौदे की चर्चा करते हुआ कहा कि आज जरुरत देश की जरूरतों और संस्कृत मूल्यों के बीच सामंजस्य बिठाने और गुणवत्ता तथा पूंजीनिवेश करने की जरुरत है तभी हमारे छात्र दुनिया के श्रेष्ठ छात्र बन सकते हैं।

नायडू ने भाषा के सवाल पर कहा कि देश में एक व्यवाहरिक भाषा निति होनी चाहिए जिसमें मात्र भाषा और अन्य भाषाओं को उचित महत्व दिया जाए। उन्होंने छात्रों के लिए स्कूली शिक्षा को छात्रों के अधिक अनुकूल बनाने पर बल देते हुए कहा कि आज भारत एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है इसलिए हमें गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा ताकि तेजी से बदलती दुनिया में हम बने रह सके।

इस मौके पर सत्य साई इंस्टिच्यूट के कुलाधिपति चक्रवर्ती और कुलपति प्रो. के. वी. आर. वर्मा भी मौजूद थे।


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