दिग्गज फुटबॉलर डिएगो माराडोना का 60 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन
फुटबॉल इतिहास के महानतम खिलाड़ियों में से एक और अर्जेंटीना में भगवान का दर्जा रखने वाले डिएगो माराडोना का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया

ब्यूनस आयर्स। फुटबॉल इतिहास के महानतम खिलाड़ियों में से एक और अर्जेंटीना में भगवान का दर्जा रखने वाले डिएगो माराडोना का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 60 वर्ष के थे। अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडेज ने माराडोना के निधन की खबर के बाद तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
माराडोना का अपने घर में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। माराडोना की कुछ सप्ताह पहले उनके मस्तिष्क में खून के थक्के की सर्जरी हुई थी। माराडोना के साथ स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं बनी हुई थीं। पूर्व फुटबॉलर ने गत 30 अक्टूबर को अपना 60वां जन्मदिन मनाया था। उन्हें ब्यूनस आयर्स के बाहरी हिस्से में स्थित अपने घर में दिल का दौरा पड़ा जिससे उनका निधन हो गया। ब्राजील के महानतम फुटबॉलर पेले और माराडोना के पूर्व क्लब नेपोली ने उनके निधन पर शोक जताया है।
माराडोना का शुमार इतिहास के महान खिलाड़ियों में होता है और उन्हें फुटबॉल के महानतम खिलाड़ी ब्राजील के पेले के समकक्ष माना जाता है। माराडोना का जन्म 30 अक्टूबर 1960 को लानुस में हुआ था। उन्होंने 1982, 1986, 1990 और 1994 में चार विश्व कप में हिस्सा लिया था।
उन्होंने 1986 के विश्व कप में अर्जेंटीना को विश्व चैंपियन बनाया था। माराडोना मेक्सिको में हुए इस विश्व कप में अर्जेंटीना की टीम के कप्तान थे। उन्होंने इस विश्व कप में पांच गोल किये थे और पांच गोलों में उनका योगदान रहा था।
1986 के विश्व कप के क्वार्टरफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ 2-1 की जीत में माराडोना के दो गोल आज भी याद किये जाते हैं। उनका पहला गोल बॉक्स में हवा में उछलते हुए हाथ की मदद से था, हालांकि उस समय इस गोल पर उतना गौर नहीं किया गया था जितना आज तकनीक के जमाने में किया जाता। इस गोल को फुटबॉल इतिहास में हैंड ऑफ गॉड गोल के नाम से जाना जाता है। लेकिन उनका दूसरा गोल फुटबॉल इतिहास के सर्वश्रेष्ठ गोलों में से एक है। पहले गोल के लिए माराडोना ने बाद में स्वीकार किया था कि यह गोल उन्होंने हवा में उछलते हुए हाथ से किया था और इस गोल में हैडर जैसी कोई चीज नहीं थी।
माराडोना का दूसरा गोल पहले गोल के चार मिनट बाद हुआ। माराडोना ने अपने हाफ में गेंद ली और अकेले इंग्लैंड के गोल की तरफ बढ़ चले। उन्होंने अपने रास्ते में आये इंग्लैंड के पांच खिलाड़ियों को छकाया और फिर गोलकीपर पीटर शिल्टन को भी छकाते हुए गोल कर डाला। इस गोल को फीफा ने विश्व कप के इतिहास का सर्वश्रेष्ठ गोल करार दिया था।
फुटबॉल के सही मायनो में जीनियस माने जाने वाले माराडोना को फुटबॉल के भगवान की तरह पूजा जाता था लेकिन वह अपने नशे की आदतों के लिए भी कुख्यात रहे थे। नशे के कारण फुटबॉल के इस जादूगर के जीवन का काफी हिस्सा प्रभावित रहा था।
ब्यूनस आयर्स के स्लम से निकलकर आसमान की बुलंदियों को छूने वाले माराडोना ने अर्जेंटीना को विश्व चैंपियन बनाने का सफर तय किया था। उन्हें इतिहास के सबसे स्वाभाविक रूप से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों में से एक माना जाता है।
रिकार्डों की नजर में देखा जाए तो माराडोना ने सीनियर स्तर पर 491 मैचों में 259 गोल किये। अर्जेंटीना की राष्ट्रीय टीम के लिए उन्होंने 1977 से 1994 तक 91 मैचों में 34 गोल किये। उन्होंने क्लब नेपोली के लिए 1984 से 1991 तक 188 मैचों में 81 गोल किये।
माराडोना के शानदार करियर के साथ नशे को लेकर कई विवाद भी जुड़े रहे थे। उन्हें डोपिंग के कारण 1994 के विश्व कप से बाहर कर दिया गया था। वह कोकीन सेवन के कारण वर्ष 2000 में मरते-मरते बचे थे। जो खिलाड़ी अपने पैरों की बाजीगरी से विपक्षी टीम को पूरे डिफेंस को छका सकता था वह नशे और ज्यादा खाने की वजह से भयानक मोटापे का शिकार हो गया।
हालांकि उन्होंने खुद में सुधार लाने की कोशिश की और हैरतअंगेज वापसी करते हुए 2008 में अर्जेंटीना की टीम के राष्ट्रीय कोच बने। अर्जेंटीना में उन्हें भगवान का दर्जा हासिल था और उनके निधन से फुटबॉल का एक युग समाप्त हो गया। उनके निधन के साथ उनकी 10 नंबर की जर्सी भी फुटबॉल इतिहास में अमर हो गयी।
माराडोना एक फैक्टरी कामगार की आठ संतानों में से पांचवीं संतान थे। लानुस में पैदा हुए माराडोना विला फियॉरिटो शैंटी टॉउन में पले -बढ़े। माराडोना को बचपन से ही फुटबॉल से प्यार हो गया था। बचपन में उन्हें जब पहली फुटबॉल मिली थी तो वह उसे अपने हाथों में लेकर सोये थे।
गलियों में खेलते हुए उनकी प्रतिभा को पहचाना गया और उन्होंने मात्र 15 साल की उम्र में अपना लीग पदार्पण कर लिया। वह जब 17 साल के थे तो 1978 में अर्जेंटीना की विश्व कप टीम में जगह बनाने से चूक गए थे। अर्जेंटीना ने 1978 में अपनी मेजबानी में विश्व कप जीता था।
वर्ष 1984 में माराडोना नेपोली क्लब से जुड़े और तब उन्हें 75 लाख डॉलर की विश्व रिकॉर्ड कीमत मिली थी। माराडोना ने नेपोली को दो बार इतालवी खिताब दिलाया था।
पांच फुट चार इंच के कद और घुंघराले बालों वाले माराडोना ने मेक्सिको में 1986 में अपने करिश्मे से अर्जेंटीना को चैंपियन बनाने के बाद 1990 में अर्जेंटीना को लगातार दूसरे फ़ाइनल में पहुंचाया था। लेकिन 1991 से ड्रग्स और शराब ने उनके जीवन में प्रवेश कर लिया था।
माराडोना को उस वर्ष डोपिंग के कारण फुटबॉल से 15 महीनों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। उन्हें 1994 में अमेरिका में हुए विश्व कप में डोपिंग के लिए दोषी पाए जाने के बाद फिर से 15 महीनों के लिए प्रतिबंधित किया गया था। वह पत्रकारों और आलोचकों से भी हमेशा उलझते रहे थे। लेकिन इन सब बातों के बावजूद उनकी महानता पर कोई असर नहीं पड़ा था।
माराडोना ने एक बार कहा था, “फुटबॉल दुनिया का सबसे खूबसूरत और फिट खेल है। फुटबॉल को मेरी गलतियों की कीमत नहीं चुकानी चाहिए। इसमें गेंद की कोई गलती नहीं है।” .
अर्जेंटीना के माराडोना ने 1997 में प्रोफेशनल फुटबॉल से संन्यास ले लिया था। वर्ष 2000 में मौत से बचने के बाद वह रिहैबिलिटेशन में चले गए थे और 2000 से 2005 के बीच उनका क्यूबा में आना-जाना लगा रहा। उस दौरान उन्होंने अपना काफी समय फिदेल कास्त्रो के साथ गुजारा। उनके पैर पर इस क्यूबा नेता का टेटू बना हुआ था।
माराडोना को 2000 में फीफा का शताब्दी अवार्ड दिया गया था और उन्होंने महान पेले को दूसरे स्थान पर छोड़ दिया था। माराडोना 2008 में अर्जेंटीना के कोच बने, उन्होंने अपनी टीम को दक्षिण अफ्रीका में विश्व कप के लिए क्वालीफाई कराया जहां टीम क्वार्टरफाइनल में पहुंचकर हारी।
माराडोना फुटबॉल की महान शख्सियत थे। उन्हें मैदान के अंदर पैरों की बाजीगरी के लिए हमेशा फुटबॉल के भगवान के तौर पर याद किया जाएगा।


