तीन तलाक़ पर छह महीने की रोक, संसद में कानून बनाने की सलाह
तीन तलाक के विवादास्पद मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का बहुप्रतीक्षित फैसला आज आ गया
नयी दिल्ली। तीन तलाक के विवादास्पद मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का बहुप्रतीक्षित फैसला आज आ गया। मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस बारे में फैसला लिया कि तीन तलाक मूल इस्लामी कानून का हिस्सा है और इसमें उच्चतम न्यायालय का हस्तक्षेप ठीक नही। संविधान पीठ ने फिलहाल छह महीने के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दिया है। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को छह महीने का समय दिया है कि वह तीन तलाक पर कानून बनाए।
आपको बता दें कि पीठ के अन्य न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति यू यू ललित तथा न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय के ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान लगातार छह दिन तक इस मामले पर सुनवाई करने के बाद पीठ ने आज अपना फैसला सुनाया। उसने मुस्लिम महिलाओं की सात याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें तीन तलाक की वैधता को चुनौती दी गयी थी।
केन्द्र सरकार ने पीठ के समक्ष कहा है कि यदि न्यायालय तीन तलाक को अवैध और असंवैधानिक पाता है तो वह मुस्लिम समुदाय में विवाह और तलाक के नियमन के लिए एक कानून बनाएगा। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि तीन तलाक वैध नही है और केन्द्र इस पर कानून बनाए।


