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पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ पॉक्सोस मामले में पुलिस की कैंसिलेशन रिपोर्ट पर फैसला 6 सितंबर को

नई दिल्ली । भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में शिकायतकर्ता नाबालिग पहलवान ने मंगलवार को अदालत में दिल्ली पुलिस की रद्दीकरण रिपोर्ट का विरोध नहीं किया।

पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ पॉक्सोस मामले में पुलिस की कैंसिलेशन रिपोर्ट पर फैसला 6 सितंबर को
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नई दिल्ली । भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में शिकायतकर्ता नाबालिग पहलवान ने मंगलवार को अदालत में दिल्ली पुलिस की रद्दीकरण रिपोर्ट का विरोध नहीं किया।

कथित पीड़िता और उसके पिता ने मामले में दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट पर कोई आपत्ति न जताते हुए पुलिस जांच पर संतुष्टि जताई।

उन्होंने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश छवि कपूर के समक्ष कक्ष में कार्यवाही में अपना बयान दर्ज कराया, जिन्होंने पुलिस रिपोर्ट को स्वीकार करने या न करने पर 6 सितंबर के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

दिल्ली पुलिस ने 15 जून को अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल कर नाबालिग पहलवान द्वारा दायर मामला रद्द करने की मांग की थी।

अदालत ने 4 जुलाई को पुलिस की रद्दीकरण रिपोर्ट पर शिकायतकर्ता नाबालिग पहलवान से प्रतिक्रिया मांगी।

कपूर ने कक्ष में कार्यवाही के दौरान शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया था और 1 अगस्त तक दाखिल पुलिस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया था।

पुलिस द्वारा पटियाला हाउस कोर्ट में दाखिल की गई 550 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया था कि नाबालिग के आरोपों में कोई पुष्टिकारक सबूत नहीं मिला।

पुलिस ने कहा था, "पॉक्‍सो मामले में जांच पूरी होने के बाद हमने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत एक पुलिस रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें शिकायतकर्ता, यानी पीड़िता के पिता और खुद पीड़िता के बयानों के आधार पर मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।"

एक नाबालिग द्वारा लगाए गए आरोपों पर एफआईआर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्‍सो) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गई थी।

हालांकि, मामले में शामिल नाबालिग पहलवान के पिता ने आगे बढ़कर दावा किया था कि उन्होंने डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ यौन उत्पीड़न की "झूठी" शिकायत दर्ज कराई थी।

पिता ने कहा है कि उन्‍होंने उनकी बेटी के प्रति डब्ल्यूएफआई प्रमुख के कथित पक्षपातपूर्ण रवैए पर गुस्से और हताशा से प्रेरित होकर शिकायत दर्ज कराई थी।

सूत्रों के अनुसार, नाबालिग का सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दूसरा बयान 5 जून को अदालत में दर्ज किया गया था और बयान में उसने यौन उत्पीड़न का आरोप नहीं लगाया था।


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