महाराष्ट्र हिंसा पर विपक्षी सदस्यों को वेंकैया ने राज्यसभा में बोलने नहीं दिया
राज्यसभा में शून्यकाल में सदस्यों को सभी मुद्दों को उठाने का मौका देकर रिकार्ड बनाये जाने के अगले ही दिन आज सदन की कार्यवाही पहले दस मिनट में ही बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।

नयी दिल्ली। राज्यसभा में शून्यकाल में सदस्यों को सभी मुद्दों को उठाने का मौका देकर रिकार्ड बनाये जाने के अगले ही दिन आज सदन की कार्यवाही पहले दस मिनट में ही बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।
विपक्षी सदस्यों ने जब महाराष्ट्र के पुणे में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाने की कोशिश की तो सभापति एम वेंकैया नायडू ने उन्हें बोलने का मौका ही नहीं दिया और तुरंत सदन की कार्यवाही बारह बजे तक स्थगित कर दी जिससे शून्यकाल नहीं हो सका।
विधायी कामकाज निपटाने के बाद नायडू ने जैसे ही शून्यकाल शुरू करना चाहा कांग्रेस , बहुजन समाज पार्टी , समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपनी जगहों पर खड़े होकर पुणे में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाना चाहा।
सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और बसपा के सतीश चन्द्र मिश्रा ने इस मुद्दे पर कुछ बोलना शुरू किया तो नायडू ने कहा कि उनकी अनुमति के बिना कुछ भी रिकार्ड पर नहीं जायेगा।
मिश्रा द्वारा यह मुद्दा उठाये जाने पर सभापति ने कहा कि इस मामले में राजनीति न की जाये और सदन की कार्यवाही में सदस्य बाधा न डालें। सदस्यों के बोलते रहने पर श्री नायडू ने कोई समय गंवाये बिना ही कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में पुणे के निकट भीमा-कोरेगांव में कल दलितों और मराठा समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी।
ज्ञात हो कि राज्यसभा में कल ही शून्यकाल में सदस्यों को उनके सभी मुद्दे उठाने का मौका मिला था और शून्यकाल के दौरान ही विशेष उल्लेख भी पूरे किये गये थे। यही नहीं प्रश्नकाल के दौरान भी सूचीबद्ध सभी 15 प्रश्नों का जवाब होने के बाद नायडू ने सदस्यों को इसके लिए धन्यवाद दिया था। मीडिया रिपोर्टों में भी इसे एक रिकार्ड बताते हुए इसकी काफी कवरेज हुई थी।


