वाहनों का तकनीकी रूप से फिट होना जरूरी
सड़क पर दौड़ने वाली गाड़ियां को सड़क पर उतरने से पहले कई जांच के दौर से गुजरना पड़ता है, देश में चार कंपनियां हैं जो गाड़ियों को जांच पूरा करने के बाद सार्टिफिकेट जारी करती हैं

ग्रेटर नोएडा। सड़क पर दौड़ने वाली गाड़ियां को सड़क पर उतरने से पहले कई जांच के दौर से गुजरना पड़ता है, देश में चार कंपनियां हैं जो गाड़ियों को जांच पूरा करने के बाद सार्टिफिकेट जारी करती हैं।
गाड़ियों का सार्टिफिकेशन करने वाली कंपनियां ऑटो एक्सपो 2018 में स्टॉल लगाकर लोगों को गाड़ियों की तकनीकी जानकारी मुहैया करा रही हैं। भारत में सार्टिफिकेशन करने वाली कंपनी में सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड़ ट्रान्सपोर्ट(सीआईआरटी),
ऑटोमेटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई), इंटरनेशनल सेन्टर फॉर ऑटोमेटिव टेक्नॉलॉजी (आईसीएटी) और ग्लोबल ऑटोमेटिव रिसर्च सेन्टर (जीएआरसी)। भारत की कोई भी ऑटोमोबाइल कंपनी बाजार में नई गाड़ियां लांच करती है तो उसे जांच के कई दौर से गुजरना पड़ता है, जिसमें आवाज ट्रैक, हिल ट्रैक, स्टेयरिंग ट्रैक, ट्रैकिंग सरफेस ट्रैक, हाईस्पीड ट्रैक की जांच चेन्नई में जीएआरसी सेन्टर में किया जाता है।
कंपनी के इंजीनियर मोह मद सुहैल ने बताया कि हमारे एजेन्सी ओपोलो टायर, जेके टायर, अशोक लेलैंड, रेनाल्ट, महिन्द्रा कंपनी को टेस्टिंग सार्टिफिकेट उपलब्ध कराती है। हमारे यहां पांच ट्रैक है जिससे वाहनों की जांच की जाती है। ऑटो एक्सपो 2018 में लोग वाहनों की तकनीकी जांच के बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं।
सीआईआरटी के जूनियर साइंटिस्ट निलेश कांगड़ एवं मोनिका पुणे ने बताया कि हमारी एजेन्सी जो गाड़ियां बनती हैं उसकी क पोनेन्ट की टेस्टिंग करती है, जिसमें इलेक्ट्रिक गाडियां, इंजन टेस्ट, गाड़ियों में लगने वाली बैट्री की टेस्टिंग की जाती है। उन्होंने बताया कि हमारे एजेन्सी से प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही ऑटो मोबाइल कंपनी अपनी गाड़ियां बाजार में उतार सकती हैं। सड़क पर चलने वाले नागरिकों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, इस लिए वाहनों की फिट होना सबसे अधिक जरूरी है।


