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वरुण गांधी ने मुख्यमंत्री योगी को लिखा पत्र, किसानों के लिए मांगी राहत

भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गन्ने की कीमतों में पर्याप्त वृद्धि, गेहूं और धान पर बोनस, पीएम किसान योजना की राशि को दोगुना करने और डीजल पर सब्सिडी देने की मांग की है

वरुण गांधी ने मुख्यमंत्री योगी को लिखा पत्र, किसानों के लिए मांगी राहत
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लखनऊ, भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गन्ने की कीमतों में पर्याप्त वृद्धि, गेहूं और धान पर बोनस, पीएम किसान योजना की राशि को दोगुना करने और डीजल पर सब्सिडी देने की मांग की है। राज्य से तीन बार सांसद रहे वरुण गांधी ने प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ फिर से जुड़ने की वकालत की, ताकि एक समान जमीन पर पहुंचा जा सकें।

मुख्यमंत्री को लिखे दो पन्नों के पत्र में गांधी ने किसानों की सभी समस्याओं और मांगों को सूचीबद्ध किया है और साथ ही उनका समाधान भी सुझाया है।

पत्र में, गांधी ने गन्ना बिक्री मूल्य को 400 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाने का सुझाव दिया जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 315 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।गांधी ने पत्र में कहा, "किसानों को गेहूं और धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर 200 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस दिया जाना चाहिए।"

उन्होंने यह भी मांग की कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) योजना को किसानों के लिए दोगुना करके 12,000 रुपये प्रति वर्ष किया जाना चाहिए, जिसमें राज्य सरकार अपने स्वयं के धन से 6,000 रुपये का योगदान कर सकती है।पीएम किसान योजना केंद्र की एक पहल है जिसके माध्यम से सभी किसानों को न्यूनतम आय सहायता के रूप में प्रति वर्ष 6,000 रुपये तक मिलने का प्रावधान है।

वरुण गांधी ने पत्र में मुख्यमंत्री से किसानों को डीजल पर 20 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देने और बिजली की कीमतों को तत्काल प्रभाव से कम करने का भी अनुरोध किया।इससे पहले 5 सितंबर को, जब तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित एक महापंचायत के लिए मुजफ्फरनगर में बड़ी संख्या में किसान एकत्र हुए थे, वरूण ने कहा था कि सरकार को आम जमीन तक पहुंचने के लिए उनके साथ फिर से जुड़ना चाहिए क्योंकि वे 'हमारे अपने हैं'।किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच कई दौर की चर्चा भी हुई, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही।


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