Top
Begin typing your search above and press return to search.

साहित्योत्सव में दिखे विभिन्न साहित्यिक रंग

साहित्योत्सव के दूसरे दिन वाचिक एवं जनजातीय साहित्य पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में आज उद्घाटन वक्तव्य लब्धप्रतिष्ठ विद्वान मृणाल मिरी ने दिया

साहित्योत्सव में दिखे विभिन्न साहित्यिक रंग
X

नई दिल्ली। साहित्योत्सव के दूसरे दिन वाचिक एवं जनजातीय साहित्य पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में आज उद्घाटन वक्तव्य लब्धप्रतिष्ठ विद्वान मृणाल मिरी ने दिया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात भाषा वैज्ञानिक एवं भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद् के अध्यक्ष बीबी कुमार ने की। प्रख्यात विदुषी सुश्री तेमसुला आओ ने विशिष्ट अतिथि के रूप में सहभागिता की। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्याय के कुलपति प्रो. टीवी कट्टीमनी ने उपयुक्त विषय पर बीज वक्तव्य दिया।

वाचिक एवं जनजातीय साहित्य पर संगोष्ठी

संगोष्ठी के आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि संसार का कोई भी देश भारत की भाषायी विविधता का मुकाबला नहीं कर सकता। भारत में अथाह और अमूल्य वाचिक साहित्य व संस्कृति उपलब्ध है और यह हमें धरोहर के रूप में मिली है। युवा पीढ़ी को अपनी समृद्ध परंपराओं का ज्ञान हो सके इसलिए आवश्कता है कि इसे संरक्षित, संपोषित और प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने साहित्य अकादेमी द्वारा इस दिशा में किए गए कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। मृणाल मिरी ने कहा कि सभी भाषाओं की अपनी स्वायत्ता होती है और सभी भाषाएँ पूर्ण रूप से शुद्ध होती हैं, उन्हें अनुवाद के माध्यम से उसी शुद्धता के साथ प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। उन्होंने वाचिक और जनजातीय साहित्य के गुणों की चर्चा की और अन्य साहित्यों तथा संस्कृतियों के बरअक्स इसकी विशिष्टताओं पर भी प्रकाश डाला।

निराला के पास मिथकीय बिम्बों की सबसे बड़ी सम्पदा है: रमेश कुंतल मेघ

साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2017 से पुरस्कृत लेखकों ने अपनी रचना प्रक्रिया को लेखक सम्मिलन में पाठकों से साझा किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादेमी के उपाध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक ने की। हिंदी के लिए पुरस्कृत रमेश कुंतल मेघ ने अपने वक्तव्य में कहा कि दुनियाभर के मिथकों में अद्भुत समानता पाई जाती है। अलगाव के इस दौर में जब हम पूरब-पश्चिम के बीच की दूरियों की बात करते हैं, उनमें उतनी सच्चाई नहीं है, जितना कि प्रस्तुत की जाती है। उन्होंने मिथकों के भारतीय परिप्रेक्ष्य के बारे में बोलते हुए कहा कि निराला हिंदी या भारत के ही नहीं, बल्कि दुनिया में मिथकीय बिम्ब प्रयुक्त करने वाले सबसे बड़े कवि हैं।

उर्दू के लिए पुरस्कृत मोहम्मद बेग एहसास ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मैंने कृशनचंदर पर पी-एच.डी. करते समय ढेरों कहानियों का अध्ययन किया। दिल और दिमाग रौशन हो गए। दिल ने कहा कि अगर अपनी कोई शैली बना सकते हो तो कहानियां लिखो वरना तो बहुत कुछ लिखा जा चुका है। मुझे कृष्नचंदर से यह सबक भी मिला कि बहुत ज्यादा लिखना भी रचनात्मकता को नुकसान पहुंचाता है।

उपेक्षित औरत के संघर्ष की कहानी

बोडो के लिए पुरस्कृत लेखिका रीता बर’ने अपनी पुरस्कृत कृति थैसाम के बारे में बताते हुए कहा कि यह एक गरीब और उपेक्षित औरत की संघर्ष-कथा है, जो अपनी सौतेली मां के अत्याचारों से पीड़ित है। पति की आकस्मिक मृत्यु के उपरांत वह अपने इकलौते पुत्र के साथ अपनी जीवन-यात्रा पुन: आरंभ करती है। वहाँ की स्थानीय सामाजिक रीति-रिवाजों और नशे की प्रवृति पर यह उपन्यास प्रकाश डालता है।

डोगरी के लिए पुरस्कृत शिव मैहता ने विभाजन के समय को याद करते हुए कहा कि उस जीवन की प्रेरणा तथा आकाशवाणी के लिए काम करते हुए लेखन में बहुत सहायता मिली। अंग्रेजी के लिए पुरस्कृत ममंग दई ने अपनी पुरस्कृत कृति द ब्लैक हिल के बारे में बताते हुए कहा कि उनकी यह पुस्तक फ्रेंच प्रीस्ट फादर निकोलस माइकल क्रिक के बारे में है जो मिस्मी जनजातीय के एक महानायक थे, जिन्हें ब्रिटिश सेना ने मौत की सजा दी थी।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it