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वंदे भारत एक्सप्रेस टीम को नंबी नारायणन के क्षण जैसा महसूस हुआ

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार बजट पेश करते हुए अगले तीन वर्षों में 400 वंदे भारत ट्रेन को बनाने की जब घोषणा की तो इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के मौजूदा तथा सेवानिवृत कर्मचारियों को उसी क्षण का अनुभव हुआ

वंदे भारत एक्सप्रेस टीम को नंबी नारायणन के क्षण जैसा महसूस हुआ
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चेन्नई। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार बजट पेश करते हुए अगले तीन वर्षों में 400 वंदे भारत ट्रेन को बनाने की जब घोषणा की तो इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के मौजूदा तथा सेवानिवृत कर्मचारियों को उसी क्षण का अनुभव हुआ जैसा अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने जासूसी के आरोपों से मुक्त किए जाते समय स्वयं महसूस किया था।

केन्द्र सरकार ने आईसीएफ के संयंत्रों को आधुनिक बनाने के लिए तथा इस तरह की रेलगाड़ियों को चलाने के लिए 140 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। गौरतलब है कि डा. नारायणन पर जासूसी के आरोपों के चलते उन पर मामले दर्ज किए गए थे और उन्हें काफी शर्मनाक स्थितियों का सामना करना पड़ा था । हालांकि बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने आरोप मुक्त कर दिया था।

भारतीय रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, यह अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन के समय जैसा था, जब उनके खिलाफ जासूसी के आरोपों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक एस नंबी नारायणन के खिलाफ जासूसी के आरोपों को खारिज कर दिया था।

वर्ष 2018 में जब ट्रेन 18 को वंदे भारत एक्सप्रेस के नाम से शुरू करने वाली टीम को 18 महीने की अवधि में पूरा करने के लिए गुलदस्ते मिल रहे थे, तो उन्हें रेलवे सतर्कता जांच का सामना करना पड़ा था। उस जांच ने अधिकारियों के करियर को खराब कर दिया, जबकि कुछ ने नौकरियां छोड़ दी थी। बाद में उन पर लगे आरोप झूठे साबित हुए, लेकिन उनके करियर को नुकसान हुआ था और प्रतिष्ठित परियोजना भी पटरी से उतर गई थी।

आईसीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, अधिकारी परियोजना को हाथ में लेने के लिए अनिच्छुक हैं। जब तक शीर्ष अधिकारियों से स्पष्ट निर्देश नहीं मिलते हैं, वंदे भारत ट्रेन परियोजना धीमी हो जाएगी।

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक सुधांशु मणि ने बजट घोषणा पर आईएएनएस को बताया, वंदे भारत ट्रेनों/ट्रेन 18 के निमार्ता के रूप में, यह मेरे और टीम के लिए बहुत गर्व का क्षण है, जिसने 2018-19 में उसके पहले रेक का निर्माण किया। ।

इस समय एक स्वतंत्र सलाहकार के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे श्री मणि ने कहा: यह मेरे और टीम के लिए भी एक प्रमाण है क्योंकि परियोजना को 2019 की शुरूआत से एक अनावश्यक विवाद में घसीटा गया था और नए रेल मंत्री के पदभार संभालने के बाद चीजें बेहतर हुईं।

आईसीएफ के पूर्व अधिकारियों का विचार था कि वंदे भारत एक्सप्रेस/ट्रेन 18 के लिए वस्तुओं की सोसिर्ंग के संबंध में शुरू की गई सतर्कता जांच के पीछे आयातकों की लॉबी का हाथ था।

आईसीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि कोई और देश होता तो इस तरह की ट्रेन को रोल आउट करने वाली टीम का जश्न मनाया जाता। निश्चित रूप से, प्रोजेक्ट टीम पद्म पुरस्कार की हकदार है। लेकिन यहां टीम को सतर्कता जांच का सामना करना पड़ा है।

इस मामले में नाम न छापने की शर्त पर एक बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, ट्रेन 18 कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। केवल 18 महीनों में एक अत्याधुनिक ट्रेन-सेट की कल्पना करने और उसे उतारने वाली टीम को एक साथ लाना आसान नहीं है। बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) आईसीएफ के स्वामित्व में है। सेमी हाई स्पीड ट्रेन को मौजूदा पटरियों पर चलना पड़ता है और पटरियों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

उनके मुताबिक, महज 100 करोड़ रुपये में तैयार की गई ट्रेन - आयातित ट्रेन की लागत से लगभग एक तिहाई क म है और देश की मितव्ययी इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है।

यह पहली बार है जब एक आधुनिक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन को देश में यहीं के अधिकारियों द्वारा डिजाइन किया गया है और यह वजन में भी काफी कम है। ट्रेन का एक्सल लोड अन्य ट्रेनों की तुलना में लगभग 16.5 टन कम है।

भारतीय रेलवे दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क ऑपरेटर है जो रोजाना लगभग 15,000 ट्रेनें चला रहा है और देश भर में करोड़ो यात्रियों को ले जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि देश के लिए ट्रेनों में आत्मनिर्भर बनना अनिवार्य है क्योंकि यह दुनिया के सबसे बड़े ऑपरेटरों में से एक है।

वंदे भारत ट्रेनों के बारे में वित्त मंत्री सीतारमण की बजट घोषणा के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि इस ट्रेन परियोजना को फिर से पटरी पर ला दिया गया है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में लोकसभा को बताया कि 140 करोड़ रुपए की लागत से वंदे भारत किस्म की ट्रेनों के उत्पादन के लिए आईसीएफ में ढांचागत सुविधाओं को बढ़ाया गया है।


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