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'कोवैक्सीन ने भारत में दूसरी लहर के दौरान कोविड के खिलाफ केवल 50 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान की'

हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सिन की दो खुराक ने भारत में महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 संक्रमण से केवल 50 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान की है

कोवैक्सीन ने भारत में दूसरी लहर के दौरान कोविड के खिलाफ केवल 50 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान की
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नई दिल्ली। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सिन की दो खुराक ने भारत में महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 संक्रमण से केवल 50 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान की है।

यह दावा द लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल में बुधवार को प्रकाशित भारतीय वैक्सीन के रियल वल्र्ड असेसमेंट में किया गया है।

इस अध्ययन में 15 अप्रैल से 15 मई 2021 तक दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 2,714 अस्पताल कर्मियों का आकलन किया, जो रोगसूचक थे और कोविड-19 का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण किया गया था।

शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि अध्ययन के दौरान यह भी पता चला कि डेल्टा वेरिएंट भारत में प्रमुख वेरिएंट था, जो सभी पुष्टि किए गए कोविड-19 मामलों में लगभग 80 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार था।

एम्स नई दिल्ली में मेडिसिन के अतिरिक्त प्रोफेसर मनीष सोनेजा ने कहा, "हमारा अध्ययन इस बात की पूरी तस्वीर पेश करता है कि बीबीवी152 का प्रदर्शन कैसा है। इसे भारत में कोविड-19 की वृद्धि की स्थिति के संदर्भ में माना जाना चाहिए, जो डेल्टा वेरिएंट की संभावित प्रतिरक्षा क्षमता के साथ संयुक्त है।"

बता दें कि कोवैक्सीन हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (एनआईवी-आईसीएमआर), पुणे के सहयोग से विकसित की गई वैक्सीन है। यह 28 दिनों के अलावा दो-खुराक वाले आहार में प्रशासित एक निष्क्रिय संपूर्ण वायरस टीका है।

इस साल जनवरी में कोवैक्सीन को भारत में 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति दी गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस महीने की शुरुआत में स्वीकृत आपातकालीन उपयोग कोविड-19 टीकों की अपनी सूची में वैक्सीन को जोड़ा। नवीनतम अध्ययन भारत के दूसरे कोविड-19 उछाल के दौरान और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में आयोजित किया गया था, जिन्हें मुख्य रूप से कोवैक्सीन की पेशकश की गई थी।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन शॉट ने जुलाई में अपने तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों के अंतिम परिणामों की घोषणा की।

अध्ययन में पाया गया है कि कोवैक्सीन की दोनों डोज कोरोना के सिम्टोमैटिक (लक्षण वाले मरीजों) में 50 फीसदी तक प्रभावी है।

कंपनी के अनुसार, टीके ने रोगसूचक कोविड-19 के लक्षण वाले मरीजों में 77.8 प्रतिशत की प्रभावकारिता दर दिखाई, जो कि गंभीर रोगसूचक संक्रमण के खिलाफ 93.4 प्रतिशत हो गई।

द लैंसेट नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में, इस महीने की शुरुआत में भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन को कोविड-19 के खिलाफ 77.8 प्रतिशत और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 65.2 प्रतिशत प्रभावी होने का प्रदर्शन किया।

हालांकि, नवीनतम अध्ययन में एम्स के शोधकर्ताओं ने स्वीकार किया कि टीके की प्रभावशीलता बीबीवी152 के हाल ही में प्रकाशित तीसरे चरण के या²च्छिक (रेंडमली) नियंत्रण अध्ययन द्वारा रिपोर्ट की गई प्रभावकारिता से कम है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार की सुबह उपलब्ध कराए गए ताजा आंकडों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 76,58,203 वैक्सीन की खुराक देने के साथ ही भारत का कोविड-19 टीकाकरण कवरेज बुधवार की सुबह 7 बजे तक अंतिम रिपोर्ट के अनुसार 118.44 करोड़ से अधिक हो गया है। इस उपलब्धि को 1,22,71,257 टीकाकरण सत्रों के जरिए प्राप्त किया गया है।

मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 10,949 रोगियों के ठीक होने के साथ ही स्वस्थ होने वाले मरीजों (महामारी की शुरुआत के बाद से) की कुल संख्या बढ़कर 3,39,57,698 हो गई है।


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