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आपदा प्रभावितों के बीच पहुंचे हरीश रावत, राहत कार्यों में तेजी की मांग

उत्तराखंड में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने कई क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई है। इस आपदा का जायजा लेने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत गढ़वाल के बाद अब कुमाऊं क्षेत्र के दौरे पर हैं

आपदा प्रभावितों के बीच पहुंचे हरीश रावत, राहत कार्यों में तेजी की मांग
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हरीश रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का किया दौरा, राहत कार्यों में तेजी लाने की अपील

  • कुमाऊं दौरे पर हरीश रावत, बोले—एकजुटता ही आपदा से लड़ने की ताकत
  • रावत ने सुनी पीड़ितों की व्यथा, सरकार से ठोस कदमों की मांग
  • भारी बारिश से तबाही, हरीश रावत ने राहत कार्यों की निगरानी की

बागेश्वर। उत्तराखंड में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने कई क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई है। इस आपदा का जायजा लेने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत गढ़वाल के बाद अब कुमाऊं क्षेत्र के दौरे पर हैं। उन्होंने बुधवार को बागेश्वर जिले की कपकोट तहसील स्थित कनलगढ़ घाटी के पैसानी गांव का दौरा किया, जहां आपदा ने भारी नुकसान पहुंचाया है। इस दौरान उन्होंने आपदा प्रभावित लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना।

पैसानी गांव में आपदा की स्थिति का जायजा लेने के बाद हरीश रावत ने कहा, "बाढ़ ने हमारे लोगों को गहरी पीड़ा दी है। मैं प्रभावितों की चिंताओं और दुख में शामिल होने आया हूं। मुझे गर्व है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता हर उस स्थान पर सक्रिय हैं, जहां आपदा ने लोगों को प्रभावित किया है। वे न सिर्फ दर्द साझा कर रहे हैं, बल्कि प्रभावितों की मदद के लिए भी तत्पर हैं।"

उन्होंने कहा कि इस मुश्किल घड़ी में एकजुटता और सहायता की जरूरत है। हरीश रावत ने प्रदेश की धामी सरकार से आपदा प्रभावितों की मदद के लिए त्वरित कदम उठाने की अपील की।

उन्होंने कहा, "सरकार को अपनी मुट्ठी खोलनी होगी और आपदा की इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटना होगा। अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपकर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों को तेज करना चाहिए।"

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह अभी सरकार की कार्यशैली पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन एक महीने बाद प्रेस वार्ता के जरिए अपनी बात रखेंगे।

वहीं, बागेश्वर के स्थानीय लोगों ने भी आपदा प्रभावितों की मदद में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। हरीश रावत ने स्थानीय समुदाय की इस पहल की सराहना की और कहा कि आपदा के समय एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है।

उन्होंने प्रभावित परिवारों से मिलकर उनकी समस्याओं को समझा और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।

आपको बता दें कि उत्तराखंड में इस साल भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ ने कई क्षेत्रों में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चमोली जैसे जिलों में आपदा का प्रभाव गंभीर रहा है।


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