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UP News: बैंककर्मी की सूझबूझ से दो करोड़ रुपये की ठगी से बची डिजिटल अरेस्ट पीड़ित वृद्धा

काल करने वाले ने खुद को सीबीआइ पुणे से जुड़ा अधिकारी बताया और कहा कि महिला के स्वर्गीय पति का मोबाइल नंबर और आधार कार्ड 50 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग में इस्तेमाल किया गया है।

UP News: बैंककर्मी की सूझबूझ से दो करोड़ रुपये की ठगी से बची डिजिटल अरेस्ट पीड़ित वृद्धा
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लखनऊ: UP News: लखनऊ में पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में डरी सहमी 75 वर्षीय महिला एक साथ 13 एफडी तोड़वाकर डेढ़ करोड़ रुपये और खाते से 50 लाख रुपये मिलाकर कुल दो करोड़ रुपये निकालने पहुंची तो बैंककर्मी को शक हुआ। पूछने का प्रयास किया, लेकिन महिला ने कुछ नहीं बताया। मैनेजर ने जानबूझकर गलत अकाउंट नंबर बताया तो फोन करने बैंक से बाहर आ गईं। इसी बीच पीछे से भेजे गए बैंककर्मी की नजर उनके मोबाइल में चल रही वीडियो काल पर पड़ी। उनकी बातें सुनी तो पता चला कि वृद्धा पांच दिन से डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) हैं। बैंककर्मी ने पुलिस को सूचना दी। बैंक मैनेजर और कर्मियों की सतर्कता से वृद्धा के दो करोड़ रुपये बचा लिए गए।

पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा

बैंक अधिकारियों के मुताबिक साइबर जालसाजों ने महिला को फोनकर उनके परिवार को मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग से जोड़ते हुए पांच दिन डिजिटल अरेस्ट रखा। काल करने वाले ने खुद को सीबीआइ पुणे से जुड़ा अधिकारी बताया और कहा कि महिला के स्वर्गीय पति का मोबाइल नंबर और आधार कार्ड 50 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग में इस्तेमाल किया गया है, जिसका संबंध कश्मीर और दिल्ली की आतंकी घटनाओं से है।

महिला को भयभीत कर दिया

जालसाजों ने वाट्सएप वीडियो काल के जरिए वर्दीधारी अधिकारियों और दफ्तर का दृश्य दिखाकर महिला को भयभीत कर दिया। महिला से आधार कार्ड, बैंक डिटेल समेत कई गोपनीय जानकारियां हासिल कर ली गईं। इसके बाद जालसाजों ने लगभग दो करोड़ रुपये की मांग करते हुए कहा कि रकम मिलते ही मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा। महिला इतनी घबरा गई कि वह अपनी 13 एफडी, जिनकी कुल राशि करीब एक करोड़ दस लाख रुपये थी, लेकर पीएनबी मामा चौराहा शाखा पहुंच गईं।

बेहद डरी हुई थीं महिला

जब महिला काउंटर पर पहुंची तो बैंक अधिकारी इंद्राणी ने अचानक इतनी बड़ी रकम निकालने का कारण पूछा, लेकिन महिला ने कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया। इस पर शाखा प्रबंधक श्रवण कुमार राठौर को सूचना दी गई। उन्होंने महिला को अपने केबिन में बुलाकर समझाने की कोशिश की, लेकिन वह बेहद डरी हुई थीं। संदेह होने पर शाखा प्रबंधक ने जानबूझकर जालसाजों द्वारा दिए गए खाते की जानकारी गलत बताई और महिला से दोबारा सही खाता संख्या मंगाने को कहा।


महिला फोन पर बात करने के लिए बाहर गई तो उनके पीछे एक कर्मचारी को भेजा गया। बातचीत सुनते ही पूरा मामला साफ हो गया। इसके बाद महिला को समझाकर पूरी जानकारी ली गई और तत्काल पुलिस व उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही मंडल प्रमुख राज कुमार सिंह और मुख्य प्रबंधक राम बाबू मौके पर पहुंचे। महिला के अन्य खातों, जो आइसीआइसीआइ बैंक, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया सहित अन्य बैंकों में थे, उन्हें भी फ्रीज कराया गया। पुलिस के समन्वय से एफडी का भुगतान रुकवाया गया और सभी खातों को सुरक्षित किया गया। उधर, मंडल प्रमुख राज कुमार सिंह ने बैंक स्टाफ की सूझबूझ की सराहना करते हुए उन्हें पुरस्कृत किया। इंस्पेक्टर विकासनगर आलोक सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।


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