उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता को घर खाली करने का अल्टीमेटम: दूध-रोटी को मोहताज परिवार, पीएम-सीएम से लगाई गुहार
माखी दुष्कर्म पीड़िता ने बताया कि उसके दोनों छोटे बच्चों के लिए दूध का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा है। कई बार ऐसा होता है कि घर में भोजन तक नहीं बन पाता।

उन्नाव : पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित किए जाने के बाद दुष्कर्म पीड़िता और उसका परिवार गंभीर संकट से गुजर रहा है। न्याय की लड़ाई लड़ रही पीड़िता ने शुक्रवार को मीडिया के सामने अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि इस फैसले के बाद उसकी जिंदगी और ज्यादा मुश्किल हो गई है। पीड़िता के अनुसार उसके पति की नौकरी छूट गई है, मकान मालिक घर खाली करने का दबाव बना रहे हैं और बच्चों के लिए दूध तक का इंतजाम नहीं हो पा रहा है।
मकान मालिक दहशत में
पीड़िता ने भावुक होते हुए कहा कि सजा निलंबन का फैसला आने के बाद उनके घर के बाहर बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम जुटने लगा, जिससे मकान मालिक दहशत में आ गए। लगातार बढ़ते तनाव के चलते मकान मालिक को हार्ट अटैक पड़ गया। गनीमत रही कि समय पर इलाज मिलने से उनकी जान बच गई। इसके बाद मकान मालिक परिवार से घर खाली करने को कह रहे हैं। पीड़िता ने बताया कि दिल्ली में कहीं दूसरा मकान भी नहीं मिल पा रहा है।
पति की नौकरी छूटी, घर चलाना हुआ मुश्किल
पीड़िता के अनुसार 23 दिसंबर को उसके पति को निजी कंपनी ने नौकरी से निकाल दिया। नौकरी छूटने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। उन्होंने बताया कि पति की आमदनी ही घर का एकमात्र सहारा थी, जिसके सहारे किसी तरह बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च चल रहा था। अब हालात ऐसे हैं कि रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो गया है। पीड़िता ने कहा कि दुकानदार, दूध वाला और अन्य जरूरतों से जुड़े लोग अब उधार देने से मना कर रहे हैं। करीब 30 से 35 हजार रुपये का उधार पहले से ही चढ़ा हुआ है। लगातार पैसे की मांग की जा रही है, लेकिन देने के लिए कुछ भी नहीं है।
बच्चों के लिए दूध तक का संकट
माखी दुष्कर्म पीड़िता ने बताया कि उसके दोनों छोटे बच्चों के लिए दूध का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा है। कई बार ऐसा होता है कि घर में भोजन तक नहीं बन पाता। पड़ोस के कुछ लोग और परिचित मानवीय आधार पर कभी-कभार मदद कर देते हैं, तभी घर का चूल्हा जल पा रहा है।
पीड़िता ने कहा कि उसने कभी नहीं सोचा था कि न्याय की लड़ाई लड़ने की कीमत उसके बच्चों को इस तरह चुकानी पड़ेगी। बच्चों की आंखों में भूख देखकर उसका दिल टूट जाता है, लेकिन वह खुद को संभालकर आगे की लड़ाई लड़ने की कोशिश कर रही है।
हाई कोर्ट के फैसले पर उठाए सवाल
पीड़िता ने हाई कोर्ट के फैसले के समय को लेकर भी सवाल उठाए हैं। उसने कहा कि कुलदीप सिंह सेंगर के पक्ष में हाई कोर्ट ने ऐसे समय में फैसला सुनाया, जब कोर्ट बंद हैं। उसके मुताबिक यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीड़िता की आवाज सुने बिना आरोपी को राहत दे दी गई। पीड़िता ने साफ कहा कि कोर्ट खुलते ही वह सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देगी। उसने भरोसा जताया कि देश की सर्वोच्च अदालत से उसे न्याय जरूर मिलेगा।
पीएम और सीएम से मदद की अपील
दुष्कर्म पीड़िता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भावुक अपील करते हुए कहा कि वह उसकी मदद करें। उसने कहा कि वह किसी तरह की विशेष सुविधा नहीं मांग रही, बल्कि सिर्फ इतना चाहती है कि उसके परिवार को सुरक्षित जीवन और न्याय मिल सके।
पीड़िता ने कहा कि कुलदीप सिंह सेंगर जैसे प्रभावशाली लोगों को राहत मिलने से पीड़ितों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठता है। उसने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की कि आरोपी को किसी भी तरह की राहत न दी जाए और पीड़ित परिवार की सुरक्षा व पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
न्याय की लड़ाई जारी रखने का संकल्प
भीषण आर्थिक और मानसिक संकट के बावजूद पीड़िता ने कहा कि वह पीछे हटने वाली नहीं है। उसने कहा कि उसे अपने ऊपर हुए अत्याचार के लिए न्याय चाहिए और वह आखिरी सांस तक यह लड़ाई लड़ती रहेगी। पीड़िता का कहना है कि उसका संघर्ष सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए है जो न्याय के इंतजार में खामोशी से दर्द सह रही हैं।


