उमा भारती का तीखा वार : शाहजहांपुर का नाम बदलने की मांग, राहुल-अखिलेश पर हमला
मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा। साथ ही उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से शाहजहांपुर के नाम को बदलने की मांग भी की

उमा भारती ने सीएम योगी से शाहजहांपुर के नाम बदलने की मांग की, राहुल-अखिलेश पर बोला हमला
- राहुल बादशाह नहीं, लोकतंत्र का सम्मान करें: उमा भारती का बयान
- शाहजहांपुर का नाम बदलने की उठी मांग, उमा भारती ने जताई उम्मीद
- अल्पसंख्यक संस्थानों पर उत्तराखंड सरकार के फैसले को उमा भारती का समर्थन
- उमा भारती का विपक्ष पर हमला: अखिलेश की पार्टी नीति और राहुल की यात्रा पर सवाल
लखनऊ। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा। साथ ही उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से शाहजहांपुर के नाम को बदलने की मांग भी की।
उमा भारती ने कहा कि राहुल गांधी जैसे लोग लोकतंत्र का सम्मान करना नहीं जानते हैं। वे अपने आप को इस देश का बादशाह और शहंशाह समझते हैं। राहुल गांधी बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाल रहे हैं और 'वोट चोरी' का आरोप लगा रहे हैं। एक तरफ वोट चोरी रोकने के लिए मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) होता है तो वे उसका विरोध करते हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि 'वोट चोरी' हो रही है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ अखिलेश यादव पीडीए की बात करते हैं तो दूसरी तरफ पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित कर देते हैं क्योंकि उन्होंने यूपी की कानून व्यवस्था की तारीफ की। अखिलेश यादव अपने घर की बहू को रोक नहीं पाए, जो सीएम योगी की प्रशंसा करके दूसरी पार्टी में चली गई। अगर अखिलेश यादव अपनी करतूतों को नहीं सुधारेंगे तो लोग उन्हें छोड़कर चले जाएंगे।
उमा भारती ने कहा कि शनिवार को वह शाहजहांपुर में थीं और तब उन्होंने जिक्र किया कि क्यों न शाहजहांपुर का नाम बदल देना चाहिए। इस पर वहां मौजूद लोगों ने एक सुर में कहा कि हां, शाहजहांपुर का नाम बदलना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि नाम जरूर बदलेगा।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड कैबिनेट ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसमें यह तय किया गया है कि अभी तक अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा सिर्फ मुस्लिम समुदाय को मिलता था, लेकिन अब प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत अन्य अल्पसंख्यक समुदायों जैसे सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी को भी यह सुविधा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने जो फैसला लिया, वो सही है और ऐसा पूरे देश में होना चाहिए।


