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भाजपा की मंशा जातिवाद का खेल खुलकर खेलने की इसलिए लाया गया आदेश : समाजवादी पार्टी

उत्तर प्रदेश में कार्यवाहक मुख्य सचिव द्वारा राज्य में जातिगत गत भेदभाव समाप्त करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जाति के उल्लेख करने पर रोक लगाने के दिये गए आदेश का समाजवादी पार्टी ने विरोध किया है। पार्टी ने कहा है कि इस आदेश के पीछे भाजपा की मंशा जातिवाद का खेल खुलकर खेलने की है। पार्टी ने कहा है पीडीए भाजपा के जातिवाद पर प्रहार करता रहेगा

जातिवाद का खेल खुल कर खेलने के लिए लाया गया आदेश : सपा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कार्यवाहक मुख्य सचिव द्वारा राज्य में जातिगत गत भेदभाव समाप्त करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जाति के उल्लेख करने पर रोक लगाने के दिये गए आदेश का समाजवादी पार्टी ने विरोध किया है। पार्टी ने कहा है कि इस आदेश के पीछे भाजपा की मंशा जातिवाद का खेल खुलकर खेलने की है। पार्टी ने कहा है पीडीए भाजपा के जातिवाद पर प्रहार करता रहेगा।

पार्टी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट किया “ जब जातिवाद करते हुए ये भाजपा सरकार और इसके जिम्मेदार जनता द्वारा पकड़े गए, जब इन भाजपाइयों का अपना जातिवाद खुल गया, जब पीडीए ने इन भाजपाई जातिवादियों से नियुक्तियों और व्यवस्था में व्याप्त इनका स्वजातिवाद पूछ लिया तो पीडीए से घबरा कर ये नियम ले आए हैं, जबकि इस नियम के पीछे भी इन भाजपाइयों की मंशा जातिवाद का खेल और खुलकर खेलने की है, पीडीए रुकेगा नहीं, बल्कि पीडीए इन भाजपाइयों से सवाल पूछता रहेगा और इन भाजपाइयों के जातिवाद पर प्रहार करता रहेगा।”

गौरतलब है कि एक दिन पूर्व कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने राज्य में जातिगत गत भेदभाव समाप्त करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जाति के उल्लेख करने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में जारी किया गया था। दरअसल, पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि पुलिस रिकॉर्ड व सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के नाम के साथ जाति के उल्लेख पर रोक लगाई जाए।

कार्यवाहक मुख्य सचिव ने अपने आदेश में हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देकर स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार की घोषित नीति है कि राज्य में एक सर्वसमावेशी व संवैधानिक मूल्यों के अनुकूल व्यवस्था लागू हो। इसलिए एफआईआर व गिरफ्तारी मेमो में आरोपित की जाति नहीं लिखी जाएगी, बल्कि माता-पिता के नाम लिखे जाएंगे। इस आदेश के लागू होने के बाद प्रदेश में कोई भी राजनीतिक दल व अन्य संगठन जाति आधारित रैली नहीं कर सकेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि इस आदेश का प्रभाव जातीय राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों पर भी पड़ना तय है।


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