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अनुपूरक बजट पर माता प्रसाद पांडेय बोले- समय-समय पर समीक्षा करें सीएम, नहीं तो बनती जाएगी गलत परंपरा

उत्तर प्रदेश विधानसभा में अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री समय-समय पर बजटीय समीक्षा करें तो विभागों की वास्तविक वित्तीय स्थिति सामने आ सकती है

अनुपूरक बजट पर माता प्रसाद पांडेय बोले- समय-समय पर समीक्षा करें सीएम, नहीं तो बनती जाएगी गलत परंपरा
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री समय-समय पर बजटीय समीक्षा करें तो विभागों की वास्तविक वित्तीय स्थिति सामने आ सकती है। उन्होंने बार-बार अनुपूरक बजट लाने को गलत परंपरा बताते हुए सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े किए।

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने अनुपूरक बजट पर चर्चा करते हुए कहा कि अनुपूरक बजट लाना असंवैधानिक नहीं है, लेकिन इसे अच्छी परंपरा भी नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि बजट बनाते समय सभी संभावनाओं और राजस्व अनुमानों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि बजट एक स्थापित और जिम्मेदार परंपरा का हिस्सा है। पांडेय ने कहा कि पहले जिलों में बजट संबंधी समितियां गठित होती थीं, जो आवश्यकताओं के आधार पर सिफारिशें करती थीं, लेकिन सरकार ने इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। इसे फिर से शुरू किया जाना चाहिए ताकि जमीनी जरूरतों के अनुसार बजट आवंटन हो सके।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बार करीब 24 हजार करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट लाया गया है, जबकि मूल बजट के मुकाबले सरकार को लगभग 30 प्रतिशत कम राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विकास कार्यों की बजाय प्रचार-प्रसार पर अधिक खर्च करना चाहती है और जब धन की कमी होती है तो योजनाओं में थोड़ी-थोड़ी राशि देकर औपचारिकता निभाई जाती है। आवास विकास विभाग का उदाहरण देते हुए माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि जिस मद में बजट का प्रावधान किया गया, उसमें से करीब 80 प्रतिशत खर्च की अनुमति तो दे दी गई, लेकिन अब तक मूल बजट के अनुरूप स्वीकृतियां जारी नहीं हो पाई हैं। इससे योजनाएं कागजों तक सीमित रह जाती हैं।

दैवीय आपदाओं से जुड़ी राहत राशि का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि बजट की कमी के कारण तहसीलों में मुआवजा वितरण प्रभावित होता है। पैसा जारी होने के बावजूद जरूरतमंदों को समय पर सहायता नहीं मिल पाती और वे जनप्रतिनिधियों के चक्कर काटने को मजबूर हो जाते हैं। उन्होंने मांग की कि राजस्व विभाग को पूरा बजट उपलब्ध कराया जाए, ताकि आपदा पीड़ितों को समय पर राहत मिल सके।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपदाएं प्रायः गरीबों के घरों में आती हैं, बड़े लोगों के यहां नहीं, इसलिए सरकार को गरीबों के प्रति संवेदनशील होकर राहत और पुनर्वास के लिए पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित करने चाहिए। कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में बड़े अपराधियों पर कार्रवाई तो होती दिख रही है, लेकिन छोटे अपराधियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। ये लोग सत्ता से जुड़े होने के कारण बच निकलते हैं, जिससे आम और गरीब जनता परेशान है।

उन्होंने थाना और तहसील स्तर पर फैले भ्रष्टाचार को भी गंभीर समस्या बताया और इसे गरीबों के शोषण का केंद्र करार दिया। नेता प्रतिपक्ष ने ‘नमामि गंगे’ योजना पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इसके लिए लगातार बजट आवंटित किया जा रहा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि धन कहां और कैसे खर्च हो रहा है। संस्थाओं को मजबूत करने की जरूरत पर जोर देते हुए माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए उपभोक्ता फोरम में जजों की नियुक्ति और लोकायुक्त की नियुक्ति बेहद जरूरी है। इन पदों के रिक्त रहने से जनता को न्याय पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।


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