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विषम परिस्थितियों में कैसे कदम उठाएं, इंदिरा गांधी से सीखने की जरूरत : प्रमोद तिवारी

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया

विषम परिस्थितियों में कैसे कदम उठाएं, इंदिरा गांधी से सीखने की जरूरत : प्रमोद तिवारी
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प्रयागराज। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि इंदिरा गांधी देशवासियों के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि विषम परिस्थितियों में कैसे कदम उठाना चाहिए।

कांग्रेस नेता ने कहा कि जब तक सूरज चांद रहेगा, तब तक इंदिरा गांधी का नाम रहेगा।

प्रमोद तिवारी ने इंदिरा गांधी से जुड़े एक प्रसंग को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले ओडिशा में एक सभा को संबोधित करने के दौरान अपनी हत्या की आशंका जाहिर कर दी थी।

कांग्रेस नेता ने कहा कि इंदिरा गांधी ने ओडिशा में अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया था कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपने जान की भी परवाह नहीं करती हैं। इंदिरा गांधी ने स्पष्ट तौर पर कहा था, "जब तक मैं जिंदा हूं, तब तक मेरे खून का एक-एक कतरा अखंड हिंदुस्तान की हिफाजत करेगा।"

उन्होंने कहा कि आज की तारीख में एक बार फिर से इंदिरा गांधी भारतीय राजनीति में प्रासंगिक हो चुकी है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बात पर जोर देते हुए कह रहे हैं कि जब भारतीय सेना के कदम पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की ओर से बढ़ रहे थे, तभी उन्होंने सीजफायर का ऐलान कर दिया था। निसंदेह ऐसी स्थिति में इंदिरा गांधी की बहुत याद आती है।

उन्होंने कहा कि 1971 में जब इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश के निर्माण की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाए थे, तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ने इंदिरा गांधी पर बहुत दबाव बनाया था, लेकिन उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति की एक नहीं सुनी थी। इंदिरा गांधी ने स्पष्ट कर दिया था कि हम भारत से जुड़े मामलों में किसी भी बाहरी पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। भारत का हित हमारे लिए सर्वोपरि है। इस हित के साथ किसी भी प्रकार का समझौता हमें स्वीकार नहीं है।


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