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बहराइच में भेड़ियों की बढ़ती दहशत, फिर एक और हमला

बहराइच में भेड़ियों के हमलों से गांवों में दहशत फैली हुई है. कई बच्चों और बुजुर्गों की मौत के बाद अब सवाल उठ रहा है कि इन भेड़ियों का व्यवहार क्यों बदल रहा है. भूख, आवास की कमी और झुंड बिखरने जैसे कारण बताए जा रहे हैं

बहराइच में भेड़ियों की बढ़ती दहशत, फिर एक और हमला
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बहराइच में भेड़ियों के हमलों से गांवों में दहशत फैली हुई है. कई बच्चों और बुजुर्गों की मौत के बाद अब सवाल उठ रहा है कि इन भेड़ियों का व्यवहार क्यों बदल रहा है. भूख, आवास की कमी और झुंड बिखरने जैसे कारण बताए जा रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में पिछले कुछ महीनों से भेड़ियों के हमलों के कारण गांवों में दहशत का माहौल है. समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार सबसे ताजा घटना में एक भेड़िया दस महीने की एक बच्ची को रात में उसकी मां के पास से उठा ले गया. सुबह उसकी लाश खेत में मिली. इसके ठीक एक दिन पहले पांच साल का एक बच्चा दोपहर में अपने घर के बाहर खेल रहा था, तभी भेड़िया उसे उठा ले गया. बाद में वो गन्ने के खेत में जख्मी हालत में मिला. अस्पताल ले जाते समय ही उसकी जान चली गई. इन हमलों से निपटने के लिए अब जंगल विभाग ने ड्रोन और जालों का इस्तेमाल शुरू किया है.

इन घटनाओं जैसे कई हमलों ने एक ही पैटर्न दिखाया है कि भेड़िये घरों के बिल्कुल पास आकर बच्चों को उठा ले जाते हैं. पिछले तीन महीनों में कम से कम नौ लोगों की मौत ऐसी घटनाओं में हो चुकी है. इनमें बच्चे ही नहीं, एक बुजुर्ग दंपति भी शामिल है. गांव वालों का कहना है कि अब दिन हो या रात, वे हमेशा भयभीत रहते हैं.

समस्या अब बड़ी हो चुकी है

लगातार होती मौतों ने बहराइच के कई गावों की जीवनशैली ही बदल दी है. कुछ घर अब सूरज ढलते ही पूरी तरह बंद हो जाते हैं. खेतों में अकेले जाना भी महिलाओं ने छोड़ दिया है. बच्चे घरों के भीतर ही रखे जा रहे हैं, और स्कूलों में उनकी संख्या कम हो गई है.

लोग कहते हैं कि वे पहली बार देख रहे हैं कि भेड़िये अब गांवों के आसपास निर्भीक होकर घूम रहे हैं. एक गांव वाले ने एएफपी को बताया, "हमारे बच्चे अब घर के अंदर भी सुरक्षित नहीं होते. हम बस इतना चाहते हैं कि ये हमले बंद हों.”

जंगल विभाग की कोशिशें और चुनौतियां

स्थिति की गंभीरता समझते हुए जंगल विभाग ने ड्रोन, कैमरा-जाल और विशेष गश्ती दल तैनात कर दिए हैं. कई भेड़िये पकड़े गए हैं, लेकिन कुछ अभी भी घनी झाड़ियों और गन्ने के खेतों में छिप जाते हैं. वन अधिकारी राम सिंह यादव ने एएफपी को बताया, "भेड़ियों का व्यवहार बदल गया है. हाल के समय में वे दिन में भी सक्रिय दिख रहे हैं, जो बहुत अजीब बात है.”

अन्य अधिकारियों ने भी यही कहा कि इस बार भेड़िये "असामान्य रूप से निडर” लग रहे हैं.

भेड़ियों का व्यवहार क्यों बदल रहा है?

सबसे बड़ी वजह भोजन की कमी मानी जा रही है. बहराइच के आसपास के जंगल पहले छोटे जंगली जीवों से भरे रहते थे, जो भेड़ियों का प्राकृतिक भोजन थे. लेकिन बस्तियों के फैलाव और जंगली क्षेत्र के घटने के कारण इन जीवों की संख्या कम हुई और भेड़ियों को भोजन के लिए गांवों की ओर आना पड़ा.

दूसरी वजह उनके आवास का सिकुड़ना है. खुले और शांत इलाकों में रहने वाले भेड़ियों को अब खेतों, कच्ची सड़कों और घरों से घिरे मैदानों में जगह ढूंढनी पड़ रही है. सूखे और कम बारिश ने भी असर डाला. पिछले मौसम में बारिश कम होने से जंगलों में पानी और शिकार दोनों घटे. पकड़े गए कई भेड़ियों की हालत बेहद कमजोर थी, जिससे साफ लगता है कि भूख ने उन्हें जोखिम उठाने पर मजबूर किया होगा.

एक और महत्वपूर्ण कारण झुंड का बिखरना है. जब झुंड में नेतृत्व करने वाला अनुभवी भेड़िया मर जाता है या झुंड से अलग हो जाता है, तो युवा भेड़िये अनिश्चित और आक्रामक हो जाते हैं. ऐसे ही उग्र भेड़िये अक्सर मनुष्यों पर हमलों में शामिल पाए जाते हैं.

गांव में डर और उम्मीद

आज गांवों में डर और सतर्कता दोनों एक साथ मौजूद हैं. महिलाएं समूह में खेती-बाड़ी करने जाती हैं. पुरुष रातों में डंडे और मशाल लेकर गश्त लगाते हैं और कई परिवारों ने अपने घरों में नए ताले लगवाए हैं. जंगल विभाग की टीमों की लगातार मौजूदगी, गांव में हो रही बैठकें और सुरक्षा उपाय भी लगातार किए जा रहे हैं.

बहराइच में बदलाव सिर्फ भेड़ियों का नहीं, गांवों का भी है. पिछले महीनों में कई भेड़िये पकड़े भी गए हैं और अधिकारियों का दावा है कि स्थिति पहले की तुलना में काफी बेहतर है. फिर भी, कई रिपोर्टें साफ कहती हैं कि जब तक जंगलों का संतुलन बहाल नहीं होता और प्राकृतिक शिकार दोबारा नहीं बढ़ता, तब तक यह संघर्ष पूरी तरह खत्म होना मुश्किल है.


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