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दिल्ली ब्लास्ट हमले के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें सरकार, कठोरता से जवाब दे : सुरेंद्र राजपूत

दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास धमाके वाली कार में झुलसा मिला शव पुलवामा के डॉक्टर मोहम्मद उमर का था। डीएनए जांच में इस बात की पुष्टि के बाद कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने इस मामले में प्रतिक्रिया दी

दिल्ली ब्लास्ट हमले के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें सरकार, कठोरता से जवाब दे : सुरेंद्र राजपूत
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दिल्ली ब्लास्ट पर सुरेंद्र राजपूत बोले-यह राष्ट्र पर हमला, सरकार कठोरता से इसका जवाब दे

लखनऊ। दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास धमाके वाली कार में झुलसा मिला शव पुलवामा के डॉक्टर मोहम्मद उमर का था। डीएनए जांच में इस बात की पुष्टि के बाद कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने इस मामले में प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने आईएएनएस से कहा, "अब सब कुछ साफ हो गया है। इस हमले के जिम्मेदार दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। यह हमला सिर्फ दिल्ली पर नहीं, बल्कि पूरे देश पर हमला है और इसका जवाब भी उसी कठोरता से दिया जाना चाहिए।"

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है और इस समय प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री को देश की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, "जब देश सुरक्षित रहेगा, तभी आप भी सुरक्षित रहेंगे। अभी जरूरत है कि राजनीति को कुछ समय के लिए विराम दिया जाए और राष्ट्र की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। यह केवल एक आतंकी की बात नहीं है, बल्कि उन सभी के लिए संदेश है जो भारत को डराने की कोशिश कर रहे हैं। उनके लिए स्पष्ट संदेश है कि भारत को छेड़ोगे, तो भारत छोड़ेगा नहीं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इस हमले ने यह साफ कर दिया है कि आतंकी ताकतें देश की शांति और एकता पर सीधा हमला कर रही हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि इस मामले को राजनीतिक चश्मे से न देखा जाए, बल्कि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से गंभीरता से लिया जाए।

इसी बीच बिहार चुनावों के दौरान चुनाव आयोग के बयानों को लेकर सुरेंद्र राजपूत ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग चाहे जो कहे, लेकिन बीती रात तीन बजे सासाराम में ईवीएम बॉक्स लाए जाने की घटना ने गंभीर संदेह खड़े कर दिए हैं। आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।"

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि देश की जनता अब जवाब चाहती है कि आखिर तीन बजे रात को ईवीएम बॉक्स क्यों और किसके आदेश पर लाए गए।

उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग को यह बताना होगा कि ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र की नींव को क्यों खतरे में डाल रही हैं। पारदर्शिता बनाए रखना आयोग की जिम्मेदारी है और अगर यह संदेह दूर नहीं किए गए तो भरोसा कमजोर होगा।"

उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग अब निष्पक्ष संस्था के बजाय दबाव में काम करती दिख रही है। आयोग को छोटी-छोटी बयानबाजियों से बचना चाहिए और ठोस तथ्यों के साथ जनता के सामने आना चाहिए, तभी लोकतंत्र में लोगों का विश्वास कायम रहेगा।


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