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लखीमपुर खीरी में तीन बच्चों को शिकार बनाने वाली मादा तेंदुआ पिंजरे में कैद

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर के दक्षिण खीरी वन प्रभाग में पिछले तीन महीनों में तीन बच्चों का शिकार करने वाली मादा तेंदुआ को वन विभाग ने रविवार को पकड़ लिया

लखीमपुर खीरी में तीन बच्चों को शिकार बनाने वाली मादा तेंदुआ पिंजरे में कैद
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लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर के दक्षिण खीरी वन प्रभाग में पिछले तीन महीनों में तीन बच्चों का शिकार करने वाली मादा तेंदुआ को वन विभाग ने रविवार को पकड़ लिया। तेंदुआ सरदार नगर रेंज के पास के गांवों में घूम रही थी, जिससे आसपास के लोगों में डर का माहौल था।

वन अधिकारियों के अनुसार इस तेंदुए का पहला हमला 26 जुलाई को ज्ञानपुर गांव में हुआ था, जब बादल कुमार नाम का छह साल का एक लड़का खेत में मचान पर अपने पिता के पास सोया हुआ था। उस समय तेंदुए के हमले में बच्चे की मौत हो गई। पिता सुनील कुमार बच्चे को रात में फसलों की रखवाली के लिए साथ ले गए थे।

दूसरा हमला 27 सितंबर को सरदार नगर रेंज के अंतर्गत आने वाले राजा रामपुरवा गांव में हुआ, जहां तेंदुए ने राधा नाम की नौ साल की एक बच्ची पर उसके घर के पास खेलते समय जानलेवा हमला किया। तीसरी घटना 7 अक्टूबर को खंभरखेड़ा गांव में हुई, जहां अनाया नाम की सात साल की बच्ची को तेंदुए ने अपना शिकार बनाया।

वन अधिकारी पहले हमले के बाद से ही तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे। स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से कई जगहों पर कैमरा ट्रैप और पिंजरे लगाए गए। रविवार को मादा तेंदुआ आखिरकार सरदार नगर रेंज में एक पिंजरे में फंस गई।

दक्षिण खीरी के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) संजय बिस्वाल ने कहा कि तेंदुए का व्यवहार 'असामान्य रूप से आक्रामक था।' पशु चिकित्सा जांच में पाया गया कि उसके एक पैर और पंजे चोटिल थे। इस चोट के कारण उसे जंगली शिकार करने में कठिनाई हो रही थी और वह छोटे बच्चों को आसान शिकार बनाने लगी थी।

तेंदुए को आगे की चिकित्सा निगरानी और व्यवहार अध्ययन के लिए भेजा जाएगा ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि उसका पुनर्वास किया जा सकता है या उसे कैद में ही रहना होगा।

दक्षिण खीरी प्रभाग दुधवा क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा है। यहां हाल के वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामलों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। वन अधिकारी इसका कारण घटते वन क्षेत्र, जंगल के किनारों पर गन्ने की खेती और तेंदुओं के क्षेत्रों के साथ मानवीय गतिविधियों के बढ़ते अतिक्रमण को मानते हैं।


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