लखनऊ में असम के निवासियों पर कार्रवाई को लेकर विवाद, राजनीतिक आरोप‑प्रत्यारोप तेज
राजधानी लखनऊ के बहादुरपुर क्षेत्र में असम से आए सैकड़ों परिवारों पर की गई प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर विवाद खड़ा हो गया है

बहादुरपुर में प्रशासनिक छापेमारी पर हंगामा, असम के निवासियों ने दस्तावेज़ दिखाकर जताया विरोध
- असम के परिवारों को बांग्लादेशी बताने पर बवाल, लखनऊ में पहचान और नागरिकता पर नई बहस
- नगर निगम की कार्रवाई पर सियासत गरम, विपक्ष ने चुनावी माहौल बनाने का आरोप लगाया
- लखनऊ में प्रवासन और नागरिकता मुद्दे पर टकराव बढ़ा, प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
लखनऊ। राजधानी लखनऊ के बहादुरपुर क्षेत्र में असम से आए सैकड़ों परिवारों पर की गई प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय निवासियों और राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि इन परिवारों को बिना किसी पूर्व सूचना के ‘बांग्लादेशी’ बताकर परेशान किया गया।
जानकारी के अनुसार, ये परिवार लगभग 2004 से लखनऊ में सफाई कार्य से जुड़े हुए हैं और पिछले दो दशकों से शहर में रह रहे हैं। आरोप है कि हाल ही में नगर निगम टीम ने बस्ती में छापेमारी की, ठेले और मोटरसाइकिलें जब्त कीं और 15 दिनों के भीतर बस्ती खाली करने का निर्देश दिया।
परिवारों का कहना है कि उनके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और NRC से संबंधित दस्तावेज़ मौजूद हैं, जो उन्हें असम, भारत का वैध निवासी साबित करते हैं। उनका आरोप है कि इसके बावजूद उन्हें जबरन बाहरी और अवैध प्रवासी बताकर धमकाया गया।
घटना के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी के अयोध्या प्रांत अध्यक्ष विनय पटेल ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई “चुनाव से पहले डर का माहौल बनाने” की कोशिश है और पार्टी इन परिवारों के साथ खड़ी है। उन्होंने इसे “तानाशाही रवैया” बताया और कार्रवाई की निंदा की।
वहीं, नगर निगम और स्थानीय प्रशासन की ओर से इस मामले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है।
घटना ने शहर में पहचान, नागरिकता और प्रवासन जैसे मुद्दों पर नई बहस छेड़ दी है, और आने वाले दिनों में इस पर राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर चर्चा बढ़ने की संभावना है।


