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यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश के साथ आ सकते हैं चंद्रशेखर

उत्तर प्रदेश में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव और आजाद समाज पार्टी (एएसपी) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के बीच एक साथ चुनाव लड़ने पर बात नहीं बन पायी थी लेकिन पिछले कुछ महीनों से दोनों एक-दूसरे के करीब आए हैं

यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश के साथ आ सकते हैं चंद्रशेखर
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव और आजाद समाज पार्टी (एएसपी) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के बीच एक साथ चुनाव लड़ने पर बात नहीं बन पायी थी लेकिन पिछले कुछ महीनों से दोनों एक-दूसरे के करीब आए हैं।

यूपी के राजनीतिक गलियारों में ऐसी अटकलें लगाई जा रहीं हैं कि 2027 में होने वाले चुनाव में ये दोनों पार्टियां एक साथ आ सकती हैं।

पिछले कुछ समय से ऐसा देखा जा रहा है कि दोनों पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ ज्यादा मुखर नहीं हो रही हैं। दोनों ही पार्टियों के नेता सीधे तौर से एक दूसरे पर हमला करने से बच रहे हैं। सपा सूत्रों की माने तो पार्टी के नेताओं को इस समय चंद्रशेखर के खिलाफ ज्यादा न बोलने को कहा गया है ताकि दोनों के बीच आने वाले समय में एक साथ आने का रास्ता खुला रहे।

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो यदि वर्तमान परिस्थितियों में चंद्रशेखर और अखिलेश के बीच गठबंधन होता है तो यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ काफी कारगर साबित होगा। चंद्रशेखर के खिलाफ ज्यादा न बोलना भी समाजवादी पार्टी की रणनीति का ही एक हिस्सा है। वह नहीं चाहती कि जनता के बीच ऐसा संदेश जाए कि वह एक दलित नेता के खिलाफ खड़ी है।

सपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि 2027 में चंद्रशेखर का सपा के साथ आने में उनका भी फायदा है। आजाद समाज पार्टी यदि अकेले चुनाव में उतरती है तो इससे वोट का बंटवारा होगा और बीजेपी को फायदा मिलेगा। सपा के साथ आने से अपने अभियान को आगे बढ़ाने में चंद्रशेखर को भी मदद मिलेगी।

दरअसल, हाल में कई मंचों में चंद्रशेखर ने अपने और अखिलेश यादव के साथ सम्बंधों को लेकर भी बात की थी। इसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि उनके अखिलेश यादव के साथ अच्छे रिश्ते हैं और वह उनको पूरी तरह से एंजाय कर रहे हैं।

भविष्य में आने वाले चुनावों में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावनाओं को लेकर पूछे गए सवाल पर आजाद समाज पार्टी के एक नेता और चंद्रशेखर के करीबी ने कहा कि फिलहाल तो पार्टी पंचायत चुनाव पर फोकस कर रही है। पार्टी अपने दमपर अकेले चुनाव लड़ेगी। पर 2027 का चुनाव अकेले लड़ने या सपा के साथ मिलकर लड़ने पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। वह कहते हैं,“इस मामले पर पार्टी फैसला लेगी।”

राजनीतिक विश्लेषक पंकज कुमार की माने तो अखिलेश यादव और चंद्रशेखर आजाद के बीच तालमेल अच्छा है। संसद में भी सत्र के दौरान दोनों नेताओं की एक दूसरे से मुलाकात होती रहती है। इन मुलाकातों के दौरान दोनों नेता अपने विचारों को एक दूसरे से साझा जरूर करते होंगे। यही तालमेल उनको 2027 में एक साथ ला सकता है।

वहीं सपा की बात करें तो हाल में कई मौकों पर सपा के कई नेता चंद्रशेखर के काम की प्रशंसा कर चुके हैं। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि चंद्रशेखर को लेकर पार्टी के भीतर ऐसा मानना है कि विचारधारा के तौर पर देखा जाए तो चंद्रशेखर आजाद समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन के करीब दिखते हैं। अभी उनको अपनी स्थिति को और स्पष्ट करना होगा और उसी तरह बीजेपी के खिलाफ मुखर होना पड़ेगा जिस तरह से समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन से जुड़े नेता होते हैं।”

पंकज कहते हैं,“मुझे लगता है कि अभी दोनों ही पार्टियां जल्दबाजी के मूड में नहीं है। दोनों वेट एंड वाच की मुद्रा में है। यह देखना रोचक है कि साथ आने के लिए पहले पहल कौन करता है। क्योंकि 2022 के दौरान भी दोनों पार्टियों के नेता ने गठबंधन को लेकर बात तो की थी लेकिन वह साथ नहीं आ सके।”

गौरतलब है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान चंद्रशेखर ने अखिलेश यादव से मुलाकात कर तीन सीटों की डिमांड की थी। चंद्रशेखर ने सहारनपुर की रामपुर मनिहारन सीट अपने लिए मांगी थी लेकिन सपा पहले ही यह सीट अपनी सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को दे चुकी थी। तब अखिलेश यादव ने आजाद से कहा था कि इसको लेकर वो रालोद के चीफ जयंत चौधरी से बात कर सकते हैं। इसके अलावा आजाद ने गाजियाबाद की एक सीट अखिलेश से मांगी थी जिस पर वो सहमत हो गए थे। तीसरी सीट भी अखिलेश यादव ने किसी को दे दी थी लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया था कि इसका कोई हल निकाल लिया जाएगा। लेकिन बाद में चंद्रशेखर ने अखिलेश पर एंटी दलित होने का आरोप लगाकर साथ आने से इंकार कर दिया था।

इसके बाद 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को यूपी में 37 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि चंद्रशेखर के खाते में एक सीट आई।

चंद्रशेखर खुद लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे। इसके बाद अब संसद में कार्रवाई के दौरान अखिलेश यादव से उनकी मुलाकातों का दौर बढ़ गया है जिसके बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि 2027 के विधानसभा चुनाव में दोनों नेता एक साथ आ सकते हैं।


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