Top
Begin typing your search above and press return to search.

नोएडा में CBI ने पकड़ा अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह

केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने नोएडा में लगभग सत्तर करोड़ रूपए की ठगी के एक मामले में अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का भंडाफोड़ किया है

नोएडा में CBI ने पकड़ा अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह
X

1.88 करोड़ मिला कैश, 2022 से US नागरिकों से कर रहे थे ठगी

नोएडा। केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने नोएडा में लगभग सत्तर करोड़ रूपए की ठगी के एक मामले में अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। सीबीआई की जांच में पता चला है कि गिरोह के सदस्य अमेरिका के लोगों को सरकारी अधिकारी बनकर ठग रहे थे।

एफबीआई से मिले इनपुट के आधारा पर ये एक्शन लिया गया है। सीबीआई ने दिल्ली, नोएडा और कोलकाता में छापेमारी की। सीबीआई ने गिरफ्तार आरोपियों की पहचान शुभम सिंह, डाल्टनलिआन उर्फ माइकल, जॉर्ज टी. जामलियानलाल उर्फ माइल्स, एल. सीमिनलेन हाओकिप उर्फ रॉनी,मांगखोलुन उर्फ मैक्सी और रॉबर्ट थांगखानखुआल उर्फ डेविड उर्फ मुनरोइन के रूप में की गई है।

कैसे चल रहा था ये साइबर फ्रॉड?

सीबीआई की जांच में पता चला है कि यह गिरोह 2022 से लगातार अमेरिकी नागरिकों को कॉल कर रहा था। कॉल करने वाले खुद को डीईए, एफबीआई या सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन जैसे अमेरिकी सरकारी विभागों का अधिकारी बताते थे। वे लोगों को डराते थे कि उनका सोशल सिक्योरिटी नंबर (एसएसएन) ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हुआ है और जल्द ही उनके बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए जाएंगे। घबराए हुए लोगों को वे यह कहते थे कि अपने पैसे सुरक्षित अकाउंट में डाल दें। जबकि वह अकाउंट असल में इनका था।

नौ दिसंबर को रजिस्टर्ड किया केस

इस तरीके से तीन साल में करीब 8.5 मिलियन डॉलर यानी लगभग 70 करोड़ रुपये ठग लिए गए। सीबीआई ने केस नौ दिसंबर 2025 को दर्ज किया और तुरंत जांच शुरू की। अगले ही दिन जांच टीमों ने नोएडा में एक अवैध कॉल सेंटर पर छापा मारा, जहां आरोपी उसी समय अमेरिकी नागरिकों को कॉल कर रहे थे। सीबीआई ने मौके पर ही 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और कॉल सेंटर को बंद करा दिया। छापेमारी में सीबीआई को भारी मात्रा में सबूत मिले।

1.88 करोड़ कैश मिला

जांच के दौरान टीम ने 1.88 करोड़ रुपये नकद, 34 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (लैपटॉप, मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव आदि) और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए। जांच में यह भी सामने आया कि यह पूरा गिरोह ठगी के पैसों को क्रिप्टोकरेंसी और विदेशी बैंक खातों के जरिए अलग-अलग जगह भेजता था, ताकि पकड़ में न आ सके। अन्य लोगों की पहचान कर रही सीबीआई अब इस इंटरनेशनल साइबर नेटवर्क में शामिल बाकी लोगों की पहचान कर रही है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it