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कुछ नकारात्मक शक्तियां शिक्षा संस्थानों पर कब्जा कर नई पीढ़ी की सोच को कुचलना चाहती हैं : अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इशारों ही इशारों में भाजपा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि जो लोग शस्त्र को शास्त्र से बड़ा मानते हैं, उन्हें शिक्षालयों, विश्वविद्यालयों और समाज से दूर रखा जाना चाहिए

कुछ नकारात्मक शक्तियां शिक्षा संस्थानों पर कब्जा कर नई पीढ़ी की सोच को कुचलना चाहती हैं : अखिलेश यादव
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शस्त्र को शास्त्र से बड़ा मानने वाली शक्तियों को शिक्षालय व समाज से रखें दूर : अखिलेश यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इशारों ही इशारों में भाजपा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि जो लोग शस्त्र को शास्त्र से बड़ा मानते हैं, उन्हें शिक्षालयों, विश्वविद्यालयों और समाज से दूर रखा जाना चाहिए। शिक्षा का मूल उद्देश्य हिंसक और असभ्य सोच को सभ्य बनाना है, लेकिन कुछ नकारात्मक शक्तियां शिक्षा संस्थानों पर कब्जा कर नई पीढ़ी की सोच को कुचलना चाहती हैं।

अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अखिलेश ने पोस्ट करते हुए कहा कि समाज में ऐसे लोग सक्रिय हैं जो अपने परंपरागत प्रभुत्व और वर्चस्व को बनाए रखने के लिए सामाजिक विभाजन और विद्वेष की राजनीति करते हैं। ये ताकतें प्रेम, सौहार्द और शांति के खिलाफ काम कर रही हैं, जिससे देश का अमन-चैन बिगड़ रहा है और तरक्की बाधित हो रही है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे स्वयं भी हिंसक और नकारात्मक सोच वाले लोगों से दूरी बनाएं और अपने परिवार व समाज को भी सतर्क करें।

उन्होंने कहा कि ये लोग दकियानूसी और रूढ़िवादी विचारधारा के समर्थक हैं, जो समाज को आगे बढ़ने के बजाय पीछे की ओर ले जाना चाहते हैं। उनका उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से समानता और समता की भावना को पनपने से रोकना है, ताकि सदियों से चली आ रही गैरबराबरी बनी रहे। इसी कारण वे संविधान, समान अधिकार और आरक्षण जैसी व्यवस्थाओं का विरोध करते हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि अब पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समाज जाग चुका है और यही वजह है कि वर्चस्ववादी ताकतों में घबराहट है। उन्होंने आरोप लगाया कि भय और अविश्वास की राजनीति करने वाले लोग अब अपने मानसिक प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए अंतिम प्रयास कर रहे हैं। लेकिन उत्पीड़ित, शोषित और वंचित समाज अब और अपमान सहने को तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा कि पीडीए समाज ही असली पीड़ित है और जैसे-जैसे पीड़ा बढ़ रही है, वैसे-वैसे पीडीए की एकजुटता और चेतना भी बढ़ रही है। उन्होंने इसे सामाजिक परिवर्तन की दिशा में निर्णायक मोड़ बताया है।


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