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उत्तराखंड त्रासदी: लापता दोस्तों व परिजनों की खोज में निकले बाल-बाल बचे दीपक फर्सवान

दो दिन पहले उत्तराखंड की भयावह त्रासदी में बाल-बाल बचे दीपक फर्सवान मंगलवार को बचाव कार्य का अवलोकन करने एवं अपने लापता दोस्तों की तलाश करने के लिए चमोली जिले के तपोवन हाइडल प्रोजेक्ट क्षेत्र गए

उत्तराखंड त्रासदी: लापता दोस्तों व परिजनों की खोज में निकले बाल-बाल बचे दीपक फर्सवान
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देहरादून। दो दिन पहले उत्तराखंड की भयावह त्रासदी में बाल-बाल बचे दीपक फर्सवान मंगलवार को बचाव कार्य का अवलोकन करने एवं अपने लापता दोस्तों की तलाश करने के लिए चमोली जिले के आपदा प्रभावित तपोवन हाइडल प्रोजेक्ट क्षेत्र गए।

27 वर्षीय फर्सवान तपोवन के समीप रिनजी गांव के रहने वाले हैं। आपदा के समय उन्होंने एक पहाड़ी पर चढ़कर अपनी जान बचाई थी। लेकिन, उनके 22 वर्षीय मित्र मनोज सिंह नेगी उतने भाग्यशाली नहीं थे। फार्सवान जहां काम करते हैं, वहीं नेगी भी काम करते थे। जान बचाने की कवायद में पहाड़ी पर चढ़ते समय उनका पैर फिसल गया और तेज रफ्तार प्रवाह में बह गए।

फर्सवान ने बताया, "रविवार को सुबह 10 बजकर 40 मिनट हो रहे थे। हम दोनों बांध के पास काम कर रहे थे कि अचानक तेज हवा का झोंका आया। मुझे किसी अनहोनी की आशंका हुई और मैंने देखा कि कुछ लोग पहाड़ी की ओर भाग रहे हैं। मैं भी तेजी से पहाड़ी की ओर भागा।"

रुं धे गले से उन्होंने बताया कि जब मैं पहाड़ी पर चढ़ रहा था, तो मैंने देखा कि नेगी भी मेरे पीछे-पीछे आ रहा था। लेकिन, चंद सेकंड में वह नजरों से ओझल हो गया। नेगी मेरा घनिष्ठ मित्र है, क्योंकि हम दोनों बांध पर साथ ही काम करते थे। 10 से 20 सेकंड की बात थी कि अचानक पानी की एक बड़ी परियोजना स्थल से टकराई और अपने साथ मौत और विनाश का पैगाम भी लाई।

नेगी के परिवार में माता-पिता के अलावा दो बहनें हैं। वह परिवार में कमाने वाले अकेले सदस्य थे। उनके पिता ने बढ़ती उम्र के कारण काम करना छोड़ दिया है। बहरहाल, परिवार ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी है।

फर्सवान ने कहा, "हम चमत्कार में विश्वास करते हैं। मेरा दोस्त जरूर आएगा। नेगी की तरह लगभग 197 लोग अभी भी लापता हैं और उनके परिजनों की उम्मीद अभी पूरी तरह धूमिल नहीं हुई है।"


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