उत्तराखंड :अतिक्रमणकारियों पर एक माह में कार्यवाही का आदेश
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रामनगर में कार्बेट पार्क से सटी वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले रिसाॅर्टों तथा होटलों के खिलाफ एक माह के अंदर कार्यवाही करने का सोमवार को आदेश दिया।

नैनीताल । उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रामनगर में कार्बेट पार्क से सटी वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले रिसाॅर्टों तथा होटलों के खिलाफ एक माह के अंदर कार्यवाही करने का सोमवार को आदेश दिया।
न्यायालय ने कहा है कि अतिक्रमण हटाने के साथ साथ रिसाॅर्ट मालिकों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की जाय। इसके साथ ही न्यायालय ने वन संरक्षक को अतिक्रमण के लंबित मामलों का निष्पादन चार सप्ताह के अंदर करने के भी निर्देश दिये।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की युगलपीठ के समक्ष न्यायालय की ओर से गठित हाई पावर कमेटी की ओर से रिपोर्ट पेश की गयी। रिपोर्ट में कार्बेट पार्क के आसपास स्थित कुछ रिसाॅर्ट और होटलों द्वारा वन भूमि पर अतिक्रमण की बात कही गयी।
रिपोर्ट में कहा गया कि झमरिया गांव स्थित कार्बेट रामगंगा रिसाॅर्ट द्वारा 56 नाली और एक मुट्ठी जबकि मरचूला स्थित साॅलूना रिसाॅर्ट द्वारा नौ नाली एवं छह मुट्ठी वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि रंगेश व्यू रिसाॅर्ट की ओर से वन पंचायत के रास्तों पर अतिक्रमण किया गया है। न्यायालय ने तीनों के खिलाफ कार्यवाही करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने अल्मोड़ा प्रभाग के वनाधिकारी को वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले दोनों रिसाॅर्टों के खिलाफ एक माह के अंदर कानून सम्मत कार्यवाही करने तथा अतिक्रमण हटाने के साथ ही दोनों रिसाॅर्ट मालिकों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करने का आदेश दिया। साथ ही संबंधित एसडीएम को वन पंचायत की भूमि पर अतिक्रमण करने वाले रिसाॅर्ट के खिलाफ एक माह के अंदर कार्यवाही अमल में लाने के भी निर्देश दिये।
रामनगर की प्रभागीय वनाधिकारी की ओर से आज न्यायालय को बताया गया कि वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने के मामले में एक रिसाॅर्ट को जबर्दस्ती खाली कराया गया है जबकि नौ के खिलाफ कार्यवाही अमल में लायी जा रही है। खाली कराने के आदेश के खिलाफ इन्होंने अपील दायर की है।
न्यायालय ने रामनगर की हिमालयन युवा ग्रामीण संस्था की जनहित याचिका की सुनवाई के बाद ये आदेश दिये। संस्था की ओर से कहा गया था कि कार्बेट पार्क के आसपास बसे रिसाॅर्ट और निजी होटलों ने वन भूमि पर अतिक्रमण किया है। इससे वन्य जीवों को खतरा बढ़ गया है। इसके बाद न्यायालय ने 14 जून 2018 को आदेश जारी कर उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं की एक हाई पावर कमेटी गठित की थी। कमेटी को मौके पर जाकर वास्तविक रिपोर्ट पेश करने को कहा था। इससे पहले भी न्यायालय ने इसी जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कई रिसाॅर्ट तथा होटलों के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश पारित कर चुकी है।


