Top
Begin typing your search above and press return to search.

उत्तराखंड 2009 फर्जी मुठभेड़ मामले में 7 पुलिसकर्मियों की सजा बरकरार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा देहरादून में 2009में फर्जी मुठभेड़ में 22साल के एक एमबीए छात्र की हत्या के मामले में 7 पुलिसकर्मियों को दोषी करार देने व उम्रकैद की सजा के आदेश को बरकरार रखा

उत्तराखंड 2009 फर्जी मुठभेड़ मामले में 7 पुलिसकर्मियों की सजा बरकरार
X

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को निचली अदालत द्वारा देहरादून में 2009 में फर्जी मुठभेड़ में 22 साल के एक एमबीए छात्र की हत्या के मामले में सात पुलिसकर्मियों को दोषी करार देने व उम्रकैद की सजा के आदेश को बरकरार रखा। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि 'फर्जी मुठभेड़ की कानूनी प्रणाली में कोई जगह नहीं है।'

न्यायमूर्ति एस.मुरलीधर और आई.एस.मेहता की खंडपीठ ने कहा, "यह किसी दंड का डर न होने का प्रतीक है जिससे पुलिस सहित सशस्त्र बल कानून के राज की घोर उपेक्षा के प्रभाव में करते हैं।"

पीठ ने कहा, "यह निराशा का प्रतीक है, जिसमें पुलिस प्रभावी आपराधिक न्याय प्रणाली स्थापित करने के लिए खुद ही कदम उठाने लगती है।"

खंडपीठ ने कहा, "इस धारणा में पुलिस सिर्फ अभियुक्त नहीं है, बल्कि अभियोजक, न्यायाधीश और सजा देने वाली भी है।"

अदालत ने उत्तराखंड पुलिस द्वारा 'फर्जी मुठभेड़ में 20 साल के युवक की हत्या के मामले को दुखद करार दिया।'

अदालत ने देहरादून में 2009 में फर्जी मुठभेड़ में एमबीए छात्र की हत्या के लिए उत्तराखंड के सात पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया। अदालत ने कहा, "फर्जी मुठभेड़ का प्रतिनिधित्व करने वाली पुलिस बल की अराजकता कोई नई परिघटना नहीं है।"

अदालत ने सात पुलिस अधिकारियों को गाजियाबाद के निवासी रणबीर सिंह का अपहरण करने व उसकी हत्या की साजिश में शामिल होने का दोषी करार दिया। रणबीर सिंह 3 जुलाई 2009 को देहरादून एक नौकरी के सिलसिले में गया हुआ था।

निचली अदालत ने 17 पुलिसकर्मियों को रणबीर सिंह की हत्या का दोषी करार देते हुए जून 2014 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

रणबीर सिंह के पिता रवींद्र सिंह की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को दिल्ली स्थानांतरित किया।

उच्च न्यायालय ने कहा, "अभियोजन पक्ष ने पूरे सबूतों के साथ सात पुलिसकर्मियों को दोषी साबित किया है, जो युवक की अवैध हिरासत व उसकी हत्या के लिए भारतीय दंड संहिता के तहत जिम्मेदार हैं।"

इन सात पुलिसकर्मियों में तत्कालीन निरीक्षक संतोष जायसवाल और उप-निरीक्षक गोपाल दत्त भट्ट, राजेश बिष्ट, नीरज कुमार, नितिन चौहान, चंद्र मोहन व अजीत सिंह शामिल हैं।

हालांकि, अदालत ने बाकी के आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि वे उन गोलियों से हुए जख्मों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराये जा सकते, जिससे रणबीर सिंह की मौत हुई।

अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे यह साबित होता हो कि दूसरे आरोपियों ने किसी तरह से इसमें भागीदारी की या युवक को नुकसान पहुंचाया।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it