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उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा चलाये गये एंटी रोमियो अभियान उचित: उच्च न्यायालय

लखनऊ ! इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एंटी रोमियो अभियान के तहत प्रदेश सरकार एवं पुलिस द्वारा जारी दिशानिर्देशों को उचित क़रार दिया

उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा चलाये गये एंटी रोमियो अभियान उचित: उच्च न्यायालय
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लखनऊ ! इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एंटी रोमियो अभियान के तहत प्रदेश सरकार एवं पुलिस द्वारा जारी दिशानिर्देशों को उचित क़रार दिया और कहा कि पुलिस महानिदेशक द्वारा जारी दिशानिर्देश ठीक है। न्यायालय ने इसका पालन कानून के दायरे में रहकर करने की हिदायत दिया और कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाये कि कोई बेक़सूर व्यक्ति इससे पीड़ित न हो।
न्यायालय ने इसी मामले में राज्य सरकार से यह भी अपेक्षा की है कि आम जनता के अनुपात में पुलिस बल की भर्ती भी की जानी चाहिए।
याचिका दायर कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख एंटी रोमियो अभियान को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि इस अभियान का दुरुपयोग किया जा रहा है। पुलिस कुछ निर्दोष लोगों को भी प्रताड़ित कर रही है जो कि संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन और कानून के अनुसार गलत है।
राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता मंसूर अहमद ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि एंटी रोमियो के तहत पुलिस महानिदेशक द्वारा गत 22 मार्च व 25 मार्च को जारी सर्कुलर उचित है। महिला सुरक्षा के बावत यह किया जाना आवश्यक है। इससे आम जनता में सुरक्षा की भावना बढ़ेगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही व न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने याची गौरव गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए हैं।
न्यायालय ने इस मामले में कहा कि पुलिस का सर्कुलर ठीक है लेकिन इसका पालन कानून व नियम कायदे से होना जरुरी है। न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए फैसले की शुरुआत मनुस्मृति के श्लोक से की जिसमें कहा गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।” अर्थात जहां नारियों की पूजा होती हैं वहां देवता वास करते हैं। सुनवाई के बाद याचिका निस्तारित कर दी गयी।


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