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उत्तर प्रदेश : यात्री के साथ बदसलूकी और चोरी को बॉडी वार्न कैमरा रोकेगा

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में यात्रियों के साथ हो रही बदसलूकी और चोरी से निपटने के लिए विभाग अब बॉडी वार्न कैमरे की नई तकनीक का प्रयोग करने जा रहा है

उत्तर प्रदेश : यात्री के साथ बदसलूकी और चोरी को बॉडी वार्न कैमरा रोकेगा
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में यात्रियों के साथ हो रही बदसलूकी और चोरी से निपटने के लिए विभाग अब बॉडी वार्न कैमरे की नई तकनीक का प्रयोग करने जा रहा है।

ट्रायल पूरा हो चुका है और परिवहन निगम प्रशासन ने फैसला किया है कि वह अपने 80 निगरानी दलों को कैमरे देगा।

प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर ने कहा कि एक अक्टूबर से प्रत्येक मार्ग पर सचल दस्तों के साथ यह कैमरा रखना अनिवार्य होगा।

उन्होंने कहा, "अब प्रदेश चेकिंग करने वाली टीम ड्राइवर कंडक्टर के साथ-साथ यात्रियों की हर हरकत को बतौर सुबूत इकट्ठा करेगी।"

उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान कभी-कभी चालक और परिचालक द्वारा अभद्रता किए जाने की शिकायतें सामने आती हैं, लेकिन विभाग के पास ज्यादा सबूत न होने के चलते वे बच जाते हैं।

उन्होंने बताया कि जांच के दौरान धन उगाही समेत कई तरह के आरोप उन पर लगते रहे हैं। पैसा मांगने और यात्रियों की फीड बैक जानने के लिए अब प्रवर्तन टीम को बॉडी वार्न वीडियो कैमरा दिया गया है।

शेखर ने बताया कि इस कैमरे में वीडियो और ऑडियो की रिकॉर्डिंग होगी। इसकी क्लिप को क्षेत्रीय कार्यालय में निरीक्षण रिपोर्ट के साथ प्रवर्तन दस्ते को अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करना होगा। इसकी निगरानी में ही टीम जांच करेगी, जिससे सही जानकारी मिल सकेगी ।

डॉ. राजशेखर ने बताया कि यात्रियों से चालकों-परिचालकों के गलत व्यवहार, बिना टिकट यात्रियों और बसों में कंडक्टर से धन उगाही आदि की शिकायतों पर अंकुश लगेगा। इसका वीडियो साक्ष्य के रूप में काम करेगा।

इसके लिए प्रबंध निदेशक ने पोर्टल के माध्यम से अनलाइन खरीद करने के निर्देश दिए हैं। पहली अक्टूबर से इंटरसेप्टर वाहन में चलने वाले प्रत्येक प्रवर्तन दस्तों के पास एक बॉडी वार्न कैमरा होगा।

कैमरे से लैस होकर यह टीम उन ड्राइवर और कंडक्टर के लिए ज्यादा मुश्किलें खड़ी करेगी जो ड्यूटी पर शराब पीकर बस चलाते हैं या जो बिना टिकट काटे ही यात्रियों को सफर करवा कर पैसा कमाते हैं।

बॉडी वार्न कैमरा वाले प्रवर्तन दस्तों की सुरक्षा के लिए एक इंटरसेप्टर गाड़ी भी रहती हैं, जो डायल 100 पर सूचना पहुंचती हैं।

वहां के अधिकारी लोकेशन देखकर निकटतम पुलिस स्टेशन में संपर्क करते हैं और फौरन पुलिस वहां पहुंचकर उनकी मदद करती है।

जीपीएस से जुड़ी यूपी-100 की टीम उस समय जो भी बस के आसपास होगी वह तुरंत मौके पर पहुंचकर जांच करेगी और तत्काल रिपोर्ट भी परिवहन निगम को भेजेगी।


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