उस्ताद हुसैन बंधु ने गजल गायिकी से बांधा समां
ऐतिहासिक चक्रधर समारोह की संगीत संध्या में कल 27 अगस्त को जयपुर के प्रख्यात गजल गायकों उस्ताद अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन ने कई चर्चित गजलों को सुनाकर श्रोताओं में अभूतपूर्व उल्लास भर दिया
रायगढ़। ऐतिहासिक चक्रधर समारोह की संगीत संध्या में कल 27 अगस्त को जयपुर के प्रख्यात गजल गायकों उस्ताद अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन ने कई चर्चित गजलों को सुनाकर श्रोताओं में अभूतपूर्व उल्लास भर दिया। कार्यक्रम में गुडग़ांव के दीपक अरोरा एवं सुश्री श्रीपर्णा चक्रवर्ती द्वारा कथक और खैरागढ़ से प्रभाकर एवं दिवाकर कश्यप (कश्यप बन्धु)द्वारा शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति भी सराहनीय रही। स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करने के क्रम में संगीत संध्या की शुरूआत में कार्तिक कथक नृत्य केन्द्र बिलासपुर द्वारा कथक और महेश मलिक द्वारा वायलिन वादन की मनोहारी प्रस्तुति दी गई।
दस दिवसीय समारोह के तीसरी सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ संसदीय सचिव श्रीमती सुनीति सत्यानंद राठिया ने महाराजा चक्रधर सिंह के छायाचित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर कलेक्टर श्रीमती शम्मी आबिदी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री संजय जायसवाल, अपर कलेक्टर श्रीमती प्रियंका ऋषि महोबिया एवं श्रीमती रोक्तिमा यादव, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती चंदन संजय त्रिपाठी ने कार्यक्रम में प्रस्तुति देने वाले कलाकारों का शाल-श्रीफल भेंटकर सम्मान भी किया।
संगीत संध्या में देश के प्रख्यात गजल गायक हुसैन बंधु ने अपने गजल गायन की शुरूआत तुलसीदास द्वारा रचित श्री गणेश वंदना 'गाइए गणपति जगवंदन, शंकर सुवन भवानी नंदन से की। इसके पश्चात् उनके द्वारा मशहूर शायरों के कई गजलों का गायन कर श्रोताओं को देर रात तक अपने आकर्षण में बांधे रखा। उन्होंने अपनी प्रस्तुति के दौरान श्रोताओं की पसंद के अनुरूप फरमाईशों का भी पूरा ख्याल रखा। उस्ताद हुसैन बंधु ने अपने गायन में उनसे कहने की जरूरत क्या है.., मैं हवा हूं कहां वतन मेरा...., 'मौसम आयेंगे-जायेंगे...., नजर उस नजर की नजर कर रहा हूं....., तुझे याद बहुत आऊंगा.... और गम दूरियां समझती हैं..... तथा तू अभी से वाकिफ..... आदि गजलों का गायन कर खूब वाहवाही लूटी। इनके गजल गायन में एक अंतरा मंदिरे, मस्जिदें, गिरिजाघरों और गुरूद्वारे है यहां, ये सब के रास्ते एक घर की तरफ ही जाते हैं....से जताया कि मानव-मानव में कोई भेद नहीं और आखिर में सब की मंजिल एक ही है।
कार्यक्रम में गुडग़ांव के श्री दीपक अरोरा एवं सुश्री श्रीपर्णा चक्रवर्ती द्वारा जयपुर घराने के अपने कथक की प्रस्तुति में स्तुति, शुद्ध नृत्य तथा अभिनय पक्ष को बखूबी उभारा गया। इन्होंने शुरूआत ताल-धमाल, 14 मात्रा में शिव स्तुति से की। उन्होंने अपने नृत्य प्रदर्शन में महाभारत के कथानक द्रौपदी चीरहरण के प्रसंग से भी दर्शकों को भाव-विव्हल कर दिया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का अंत द्रुत तीन ताल में मीरा के भजन हरि तुम हरो जन के पीर..... से किया। संगीत संध्या में खैरागढ़ के कश्यप बंधु ने विलंबित झपताल, मध्य लय एकताल और तीन ताल दु्रत लय में शास्त्रीय गायन कर कला रसिक श्रोताओं को रिझाए रखा। इस अवसर पर कार्तिक कथक नृत्य केन्द्र बिलासपुर द्वारा कथक और भोपाल के महेश मलिक द्वारा वायलिन वादन की प्रस्तुति भी सराहनीय रही।


