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झारखंड साहित्य उत्सव का समापन, उषा उत्थुप ने कई अनछुए पहलुओं पर की बात

झारखंड की राजधानी रांची में साहित्य उत्सव झारखंड लिटरेरी मीट का आयोजन किया गया।

झारखंड साहित्य उत्सव का समापन, उषा उत्थुप ने कई अनछुए पहलुओं पर की बात
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रांची | झारखंड की राजधानी रांची में साहित्य उत्सव झारखंड लिटरेरी मीट का आयोजन किया गया। टाटा स्टील और प्रभात खबर द्वारा आयोजित दो दिवसीय इस उत्सव में कई कलाकारों ने अपनी कलाओं से दर्शकों का मन मोहा, जबकि कई साहित्यकारों ने अपनी बात रखी। उत्सव के अंतिम दिन रविवार शाम गायिका उषा उत्थुप पर अटोबायोग्राफी लिख रहे विकास कुमार झा ने और गायिका सोनम कालरा ने उषा उत्थुप से बात की और उन्होंने अपने जीवन के कई अनछुए पहलुओं को सामने रखा।

इस दौरान उषा उत्थुप ने कहा कि वे करीब 50 साल से गा रही हैं, परंतु उनके जीवन में भी ऐसा दौर आया है, जब उनकी आवाज को नकार दिया गया था।

उषा ने कहा, "स्कूल के दिनों में मेरी आवाज को भी नकारा गया था। शिक्षक डेविडसन ने मेरी आवाज सुनकर गाने से मना कर दिया था और कहा था कि क्लास से बाहर चली जाओ। उन्होंने मुझे एक म्यूजिकल इंस्ट्रमेंट बजाने के लिए दे दिया था मुझे खराब भी लगा। हालांकि, उनको मैंने कहा कि आई बिलीव इन म्यूजिक। आई बिलीव इन लव।"

उन्होंने कहा, "मैंने गाने की कभी प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली। सिर्फ रेडियो सीखकर गाना सीखा।" उम्र के इस पड़ाव में भी वह कहती हैं, "अभी तो मैंने जीवन जीना प्रारंभ किया है। एक कार्यक्रम के दौरान कुछ लोगों ने कहा कि अब आप वृद्ध हो गई हैं। तब जवाब में मैंने कहा कि जीना तो अब शुरू किया है।"

पाश्वर्यगायिका ने महिलाओं से आह्वान किया कि जब पोता, पोती हो जाए तब जीवन जीना शुरू करें। इस परिचर्चा के बाद उन्होंने कई गानों के बोल प्रस्तुत किए।

इस उत्सव में अभिनेता और रंगकर्मी पंकज कुमार ने भी अपने अभिनय और कहानी व्याख्यान के कौशल को मंच पर बखूबी पेश किया। ठेठ अंदाज में पंकज ने अपने ही लिखे लघु उपन्यास 'दोपहरी' का एकल मंचन किया। इसमें लखनऊ की लाल हवेली में रहती बुजुर्ग अम्मा बी, उनके पड़ोसी सक्सेना जी, घरेलू खानदानी नौकर जुम्मन समेत बी की जिंदगी में आने वाले सभी पात्रों को पंकज ने मानो स्वयं ही जीवंत किया।

अलग-अलग न वेशभूषा, न ही मेकअप सिर्फ और सिर्फ अपने स्वर के उतार-चढ़ाव की बदौलत लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। घर में अकेले रह गए बुजुर्ग की त्रासदी, विडंबना को उन्होंने बखूबी साकार किया।

जोरदार के साथ बदलते स्वर को सुन लोग डूबते-उतरते रहे। बावर्ची जुम्मन के मजाकिया संवाद पर दर्शकों ने जमकर ठहाके भी लगाए। एक घंटे 20 मिनट के दोपहरी उपन्यास के रंगमंच व्याख्यान को दर्शकों ने बिना किरदार के ही लगातार देखा और सुन।

कार्यक्रम के अंत में झारखंड लिटरेरी मीट के समापन की घोषणा की गई टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (करपोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी ने साहित्य और नाट्य प्रेमी दर्शकों को मीट से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद कहा। उन्होंने कहा कि मीट में शामिल राज्य के स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थियों को इस मीट में सीख लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।


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