जल संरक्षण हेतु गन्नौर में मक्का की खेती का प्रयोग सफलता की ओर
हरियाणा सरकार द्वारा जल संरक्षण के उद्देश्य से सोनीपत जिले के गन्नौर में मक्का बीजाई का प्रयोग सफलता की ओर अग्रसर

गन्नौर। हरियाणा सरकार द्वारा जल संरक्षण के उद्देश्य से सोनीपत जिले के गन्नौर में मक्का बीजाई का प्रयोग सफलता की ओर अग्रसर है।
इस क्षेत्र में लगभग 350 एकड़ क्षेत्र में मक्का की बिजाई की गई थी जिसमें बेहतरीन पैदावार हुई है तथा गन्नौर के कृषि अधिकारियों का खड़ी फसल का निरीक्षण करने उपरांत कहना है कि किसानों को धान की तुलना में मक्का अधिक मुनाफा दे सकती है।
खंड कृषि अधिकारी डा. संदीप बजाज के मुताबिक गत वर्ष गन्नौर खंड में मात्र 50 एकड़ भूमि में मक्का की बिजाई की गई थी। इस वर्ष साढ़े तीन सौ एकड़ में मक्का उगाई गई है। उन्होंने बताया कि कृषि विस्तारक अधिकारी डा. रणबीर सिंह मोर ने अन्य अधिकारियों के साथ मक्का की फसल का निरीक्षण करने उपरांत दावा किया कि मक्का की बेहतरीन पैदावार हुई है। इनमें कुछ किसानों उमेदगढ़ के किसान साहब सिंह, चिरस्मी के रामबीर, पुरखास के रामेहर तथा जफरपुर के हरपाल की मक्का फसल तो काफी उत्साहजनक है।
ये किसान अन्यों के लिये भी प्रेरक के रूप में सामने आये हैं जिनकी मक्का की फसल निश्चित रूप से उन्हें धान की तुलना में अधिक मुनाफा देगी। इन किसानों ने जल संरक्षण की दिशा में विशेष कदम बढ़ाते हुए धान की बजाय मक्का की खेती की है।
डा. मोर ने कहा कि मक्का की फसल को हरा चारा के रूप में भी उपयोग किया जाता है। हरे चारे के रूप में प्रयोग नहीं किया जाए तो मक्का अधिक लाभकारी सिद्ध होती है। उन्होंने कहा कि एक एकड़ में मक्का की लगभग 16 क्विंटल पैदावार मिलती है जो करीब तीस हजार रुपये में बिकती है।
जबकि एक एकड़ में मक्का उत्पादन पर लागत करीब पांच हजार रूपये की आती है। इस प्रकार किसान को एक एकड़ मक्का बिजाई से करीब 25 हजार रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त होता है। धान से तुलना की जाए तो एक एकड़ में धान उत्पादन पर लागत करीब 25 हजार रुपये आती है और बिक्री 40 से 45 हजार रुपये होती है। इस प्रकार धान से प्रति एकड़ शुद्ध लाभ लगभग 20 हजार रुपये मिलता है।
डा. बजाज और डा. मोर ने कहा कि धान उत्पादन में कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया जाता है और पानी की खपत भी अधिक होती है। यह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है।
इसलिए किसानों को जल संरक्षण तथा फसल से अधिक मुनाफे के लिए मक्का उत्पादन की ओर आगे बढ़ना चाहिए। जल संकट की समस्या से निपटने में किसानों को अधिकाधिक सहयोग करना चाहिए। इसके लिए विशेष रूप से धान की फसल का मोह त्यागना होगा। उन्होंने कहा कि रूचि लेकर मक्का की खेती की जाए तो निश्चित रूप से लाभकारी सिद्ध होगी।


