अमेरिका ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों की 125 मिलियन डॉलर की मदद पर लगाई रोक
अमेरिका ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों की मदद के लिए दी जाने वाली 125 मिलियन डालर की मदद पर रोक लगा दी है

वाशिंगटन। अमेरिका ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों की मदद के लिए दी जाने वाली 125 मिलियन डालर की मदद पर रोक लगा दी है।एक्सिअस सामाचार साइट ने पश्चिमी राजनयिकों के हवाले से यह जानकारी दी है।
राजनयिकों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र राहत और वर्क्स एजेंसी को वार्षिक अमेरिकी अनुदान का एक तिहाई धन गत एक जनवरी तक दिया जाना था लेकिन अब इस पर तक तक रोक लगी रहेगी जबतक कि डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन फिलीस्तीन को दी जाने वाली सहायता की समीक्षा पूरी नहीं कर लेता।
अमेरिका संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के जरिये फिलीस्तीनी शरणार्थियों को धन मुहैया कराता था। गौरतलब है कि गत बुधवार को ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका फिलीस्तीनियों के वित्तीय मदद के भुगतान को रोक सकता है क्योंकि वे “शांति से बातचीत करने को तैयार नहीं हैं।”
...peace treaty with Israel. We have taken Jerusalem, the toughest part of the negotiation, off the table, but Israel, for that, would have had to pay more. But with the Palestinians no longer willing to talk peace, why should we make any of these massive future payments to them?
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) January 2, 2018
ट्रम्प ने एक ट्वीट में कहा कि अमेरिका हर साल फिलीस्तीन को करोड़ों डॉलर देता है और बदले में प्रशंसा या सम्मान तक नहीं मिलता।
वे (फिलीस्तीन) इजरायल के साथ लंबे समय से अपेक्षित शांति समझौता के लिए भी बातचीत नहीं करना चाहते हैं।
It's not only Pakistan that we pay billions of dollars to for nothing, but also many other countries, and others. As an example, we pay the Palestinians HUNDRED OF MILLIONS OF DOLLARS a year and get no appreciation or respect. They don’t even want to negotiate a long overdue...
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) January 2, 2018
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर इस निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका मानता है कि इन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं होने से ट्रंप प्रशासन काफी हताश हैं।
इन दोनों आतंकवादी संगठनों ने पाकिस्तान को सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर इस्तेमाल किया है और यहां से उन्होंने पड़ोसी देश अफगानिस्तान में हमले किए जिनमें अमेरिकी ,अफगानी और अन्य सेनाओं के जवान मारे गए हैं।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नौअर्ट ने हालांकि यह भी कहा कि यदि पाकिस्तान इन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करता है तो कुछ सहायता जारी भी रखी जा सकती है।
नौअर्ट ने अपनी नियमित ब्रीफिंग में कहा, “आज हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि पाकिस्तान की जब तक पाकिस्तान सरकार हक्कानी नेटवर्क और अफगानी तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं करती उस समय तक सुरक्षा सहायता को स्थगित किया जा रहा है। हमारे विचार से ये संगठन क्षेत्र में अस्थिरता फैला रहे हैं और अमेरिकी जवानों को अपना शिकार बना रहे हैं।”
पाकिस्तान को मिलने वाली सुरक्षा सहायता पर रोक लगाया जाना इस बात का संकेत है कि ट्रंप प्रशासन इन दोनों आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं किए जाने से पाकिस्तान से नाराज है। ये दोनों संगठन पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पड़ोसी देश अफगानिस्तान में हमले करने के लिए कर रहे हैं जिसमें अमेरिकी, अफगानी और अन्य सैनिक मारे जा रहे हैं।
अमेरिका ने कहा है कि जब तक इन आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई नहीं होती तब तक सैन्य सहायता स्थगित रहेगी। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार इस रोक से पाकिस्तान को दो श्रेणियों में मिलने वाली सैन्य सहायता प्रभावित होगी। पहली विदेशी सैन्य वित्तपोषण (एफएमएफ) जिससे पाकिस्तान अमेरिकी सेना के उपकरणों की खरीद और उससे प्रशिक्षण प्राप्त करता है। दूसरा सीएसएफ फंड जिससे पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों में आर्थिक मदद मिलती है।


