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अमेरिका ने चीनी शासन द्वारा नियंत्रित 20 कंपनियों की सूची तैयार की

अमेरिका ने हुवेई टेक्नॉलजीज सहित 20 चीनी कंपनियों की पहचान कर उसकी सूची तैयार की है, जिनका नियंत्रण बीजिंग में सैन्य शासन द्वारा किया जाता

अमेरिका ने चीनी शासन द्वारा नियंत्रित 20 कंपनियों की सूची तैयार की
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नई दिल्ली/वाशिंगटन । अमेरिका ने हुवेई टेक्नॉलजीज सहित 20 चीनी कंपनियों की पहचान कर उसकी सूची तैयार की है, जिनका नियंत्रण बीजिंग में सैन्य शासन द्वारा किया जाता है।

सूचीबद्ध कंपनियां अब संभावित प्रतिबंधों का सामन कर सकती हैं, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन इस प्रयास में है कि चीन को अमेरिकी निवेश पाने से और खास प्रौद्योगियों तक उसकी पहुंच होने से रोका जा सके।

मीडिया रपटों में कहा गया है कि पेंटागन ने "अमेरिका में संचालित कम्युनिस्ट चीनी सैन्य कंपनियों" की एक सूची तैयार की है और उसमें चीन की सरकार, सेना, या रक्षा उद्योग से संबद्ध, या नियंत्रित, स्वामित्व वाले निकायों को शामिल किया गया है।

सूची में शामिल कंपनियों में एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ऑफ चाइना, चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नॉलॉजी कॉरपोरेशन, चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉरपारेशन, चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्न ॉलॉजी ग्रुप कॉरपोरेशन, चाइना साउथ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉरपोरेशन, चाइना शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री कॉरपोरेशन, चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन, चाइना नॉर्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉरपोरेशन, हांगझाउ हिविजन डिजिटल टेक्नॉलजी कॉ, हुवेई, इंसपर ग्रुप, एयरो इंजिन कॉरपोरेशन, सीआरआरसी कॉर्प, पांडा इलेक्ट्रॉनिक्स ग्रुप, डॉनिंग इंफार्मेशन इंडस्ट्री कॉ, चाइना मोबाइल कम्युनिकेशंस ग्रुप, चाइना जनरल न्युक्लियर पॉवर कॉर्प, चाइना नेशनल न्युक्लियर कॉर्प और चाइना टेलीकम्युनिकेशंस कॉर्प शामिल हैं।

पेंटागन के प्रवक्ता जोनाथन हॉफमैन के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, "पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सैन्य और असन्य सेक्टरों के बीच की रेखा को धूमिल करने की कोशिश गंभीर है। हम मानते हैं कि यह सूची अमेरिकी सरकार, कंपनियों, निवेशकों, अकादमिक संस्थानों, और समान विचारधारा वाले साझेदारों को इन निकायों के साथ साझेदारी के संबंध में उचित ध्यान देने के लिए उपयोगी होगा।"

फायनेंसियल टाइम्स ने कहा है कि कांग्रेस चाहती थी कि पेंटागन यह सूची 1999 में ही जारी करे, लेकिन अधिकारियों ने इस अनुरोध पर अमल नहीं किया। इस प्रयास में तेजी तब आई, जब सांसदों ने बीजिंग के साथ बढ़े तनाव पर प्रतिक्रिया करनी शुरू की।


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