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अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता 9 मई से स्विट्जरलैंड में होगी शुरू

चीनी स्रोतों ने घोषणा के बाद कहा कि चीन की स्थिति सुसंगत है

अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता 9 मई से स्विट्जरलैंड में होगी शुरू
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- नित्य चक्रवर्ती

चीनी स्रोतों ने घोषणा के बाद कहा कि चीन की स्थिति सुसंगत है। चाहे टकराव हो या बातचीत, चीन का अपने विकास हितों की रक्षा करने का संकल्प कभी नहीं डगमगायेगा, न ही अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय तथा वैश्विक आर्थिक और व्यापार व्यवस्था को बनाये रखने में उसका रुख और उद्देश्य कभी डगमगायेगा।

अब यह आधिकारिक हो गया है। डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन के लिए अमेरिकी टैरिफ दरों को कम करने, वार्ता के लिए अपने इरादे की घोषणा करने, और उसके बाद कुछ दिनों तक प्रतीक्षा करने के बाद, चीन ने बुधवार की सुबह पुष्टि की कि एक उच्च स्तरीय चीनी वार्ता दल 9 मई से चार दिनों के लिए स्विट्जरलैंड का दौरा करेगा, जहां वह ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट के नेतृत्व में अमेरिकी उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता करेगा। यह राष्ट्रपति ट्रम्प और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दो कार्यालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों में की गयी बैक चैनल चर्चाओं का परिणाम था।

अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने पिछले महीने के अंत में सबसे पहले तब कदम उठाया जब उन्होंने कुछ चीनी वस्तुओं पर दरें कम कीं और कहा कि वह राष्ट्रपति शी से बात करेंगे और मामले को सुलझा लेंगे। इसके तुरंत बाद उन्होंने कहा कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति से बात की। उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर बात करने की आदत है। उन्होंने सीधे राष्ट्रपति शी से बात नहीं की, लेकिन उनके सलाहकार चीनी राष्ट्रपति के अधिकारियों के संपर्क में थे। इस तरह से ट्रंप ने शी के साथ अपनी बैठक के बारे में जो कहा, वह आधा सच था। दोनों राष्ट्रपतियों के अधिकारी बात कर रहे थे।

अब कुछ बुनियादी बातों पर चर्चा के बाद, दोनों प्रतिनिधिमंडल चार दिनों के लिए तीसरे देश स्विट्जरलैंड में बैठक करेंगे, ताकि विस्तार से चर्चा की जा सके। व्यापार वार्ता इस बार निर्णायक नहीं हो सकती है, लेकिन इससे आगे की बैठकें आयोजित करने की प्रक्रिया आसान हो जायेगी, ताकि ट्रंप और शी आखिरकार मिल सकें और समझौते पर हस्ताक्षर कर सकें। यह याद रखना होगा कि व्यापार वार्ता उस समग्र समझौते का केवल एक हिस्सा है, जिसे ट्रंप अपने वैश्विक आख्यान के हिस्से के रूप में शी जिनपिंग के साथ करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें समय लगेगा और अगर जरूरत पड़ी तो इसे अलग-अलग हिस्सों में बांटा जायेगा, ताकि अन्य क्षेत्र प्रभावित न हों।

चीनी स्रोतों ने घोषणा के बाद कहा कि चीन की स्थिति सुसंगत है। चाहे टकराव हो या बातचीत, चीन का अपने विकास हितों की रक्षा करने का संकल्प कभी नहीं डगमगायेगा, न ही अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय तथा वैश्विक आर्थिक और व्यापार व्यवस्था को बनाये रखने में उसका रुख और उद्देश्य कभी डगमगायेगा। अगर हमें लड़ना होगा तो हम लड़ेंगे। अगर अमेरिका बात करना चाहता है तो हमारे दरवाजे खुले हैं। संवाद और बातचीत समानता, सम्मान और आपसी लाभ पर आधारित होनी चाहिए, प्रवक्ता ने आगे कहा।

सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन के वरिष्ठ फेलो ही वेइवेन ने बुधवार को ग्लोबल टाइम्स को बताया कि स्विट्जरलैंड में चीनी और अमेरिकी अधिकारियों के बीच होने वाली आगामी बैठक एक सकारात्मक विकास को दर्शाती है। 'यह तथ्य कि दोनों पक्ष मिलेंगे, एक अच्छा संकेत है, लेकिन कुंजी अमेरिकी पक्ष में है,' ही वेइवेन ने कहा, इस बात पर जोर देते हुए कि कोई ठोस परिणाम निकलता है या नहीं, यह वाशिंगटन की अपनी अन्यायपूर्ण और अवैध टैरिफ नीति को सही करने की इच्छा पर निर्भर करेगा-चीन पर बिना किसी पूर्व शर्त के या किसी मांग के। उन्होंने कहा, 'केवल तभी सार्थक बातचीत हो सकती है जब अमेरिका अपनी गलतियों को बदल दे।'

वैश्विक व्यापार विशेषज्ञों ने उल्लेख किया है कि ट्रम्प जल्दी बातचीत में अधिक रुचि रखते थे क्योंकि उनके सलाहकारों ने उन्हें बताया था कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका के कई व्यापार भागीदारों से बात कर रहे हैं और यदि ट्रम्प अभी भी चीन और अन्य देशों पर अपने मजबूत टैरिफ रुख पर कायम रहते हैं, तो शी जिनपिंग इस समय का उपयोग कुछ और देशों को अमेरिका के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रभावित करने के लिए करेंगे। अमेरिका के 180 देशों के साथ व्यापार भागीदारी है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण 50 से 75 देश हैं, जिनके साथ अमेरिकी राष्ट्रपति 90 दिन के विराम के भीतर व्यापार वार्ता शुरू करने की उम्मीद करते हैं, जो इस साल जुलाई के पहले सप्ताह में समाप्त हो रहा है।

केवल कुछ ही दिन पहले 4 मई को इटली के मिलन में आयोजित 28वीं आसियान प्लस थ्री वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक के दौरान, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया सहित आसियान सदस्यों ने जारी एक संयुक्त बयान में बढ़ती संरक्षणवाद और अस्थिर वैश्विक वित्तीय स्थितियों सहित बढ़ती अनिश्चितताओं को दूर करने के लिए क्षेत्रीय एकता और सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया था।

संयुक्त बयान, जिसमें अमेरिका का नाम नहीं लिया गया था, ऐसे समय में आया जब अमेरिका द्वारा लगाये गये नये टैरिफ दक्षिण पूर्व एशिया को बुरी तरह प्रभावित करने का खतरा पेश कर रहे हैं, निक्केई एशिया ने रिपोर्ट की। चीनी वित्त मंत्री लैनफोआन ने बैठक में भाग लिया और कुछ सत्रों की सह-अध्यक्षता की। लैन ने जोर देकर कहा कि- वैश्विक अर्थव्यवस्था गहन समायोजन से गुजर रही है, वैश्वीकरण के सामने चुनौतियां हंक और एकतरफावाद और संरक्षणवाद बढ़ रहा है। अस्थिरता और अनिश्चितताएं उल्लेखनीय रूप से बढ़ी हैं। 10+3 क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाएं मजबूत लचीलापन प्रदर्शित करती हैं और उनमें महत्वपूर्ण विकास क्षमता है, लेकिन वे जटिल और गंभीर आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का भी सामना करती हैं।

लैन ने कहा कि चीन 10+3 ढांचे में सभी पक्षों के साथ काम करने के लिए तैयार है ताकि खुलेपन और समावेशिता को बनाये रखा जा सके, एकजुटता और सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके और इस क्षेत्र की स्थिरता और निश्चितता के साथ वैश्विक अस्थिरता और अनिश्चितता को संबोधित करने के लिए क्षेत्रीय वित्तीय सहयोग को लगातार गहरा किया जा सके। बैठक के बाद आसियान वेबसाइट पर जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि 'बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद से वैश्विक व्यापार पर भार पड़ता है, जिससे वैश्विक अस्थिरता और अनिश्चितता को बढ़ावा मिलता है। आर्थिक विखंडन के कारण व्यापार, निवेश और पूरे क्षेत्र में पूंजी प्रवाह प्रभावित हो रहा है। निकट भविष्य की संभावनाएं अन्य बाहरी जोखिमों से भी प्रभावित हो सकती हैं, जिसमें सख्त वैश्विक वित्तीय स्थितियां, प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में विकास में मंदी और निवेश प्रवाह में कमी शामिल है।'

अमेरिका जापान और आसियान देशों के साथ सबसे अधिक मित्रवत है, फिर भी शिखर सम्मेलन के बाद जारी किये गये बयान के लहजे से पता चलता है कि ट्रंप के एकतरफा टैरिफ वृद्धि कदम के खिलाफ उसे दिशा देने में चीन का प्रभाव है। व्यापार कूटनीति में अमेरिका को मात देने के लिए चीन अब जो कर रहा है, वह यह है कि राष्ट्रपति शी खुद को अमेरिका के घोर संरक्षणवाद के खिलाफ नियम आधारित वैश्वीकरण के नायक के रूप में पेश कर रहे हैं। अमेरिकी सलाहकारों ने इस पर ध्यान दिया है और ट्रंप से कहा है कि वे चीन को व्यापार वार्ता में शामिल करें ताकि अन्य देश भी इसका अनुसरण करें।

वैश्विक टैरिफ युद्ध ने कुछ क्षेत्रों में चीन को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है। हालांकि चीन यह स्वीकार नहीं करता है कि कुछ क्षेत्रों में उत्पादन पैमाने को कम किया गया है, जो नवीनतम टैरिफ युद्ध में अत्यधिक प्रभावित हुए हैं। चीनी अर्थव्यवस्था में लचीलापन है, लेकिन यह अमेरिकी बाजार को निर्यात पर इतना अधिक निर्भर है कि अगर ट्रंप अपनी दरों में बदलाव नहीं करते हैं तो उसके पास बहुत सीमित विकल्प हैं। इसी तरह ट्रम्प के पास भी चीन के साथ जल्द से जल्द व्यापार समझौता करने की मजबूरी है। लेकिन भू-राजनीति भी इसमें बहुत बड़ी भूमिका में है क्योंकि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं वर्चस्व के लिए लड़ रही हैं। 9 मई से होने वाली स्विटजरलैंड वार्ता दोनों देशों के बीच विकसित हो रहे व्यापार संबंधों के रुझान का संकेत देगी।


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