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नहीं रहे उर्दू शायर और गीतकार नक्श लायलपुरी

दुनिया में नक्श लायलपुरी के नाम से पहचाने जाने वाले प्रख्यात उर्दू शायर और गीतकार जसवंत राय शर्मा का रविवार को यहां निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। उनके एक पारिवारिक मित्र ने कहा कि वह कुछ दिनों से

नहीं रहे उर्दू शायर और गीतकार नक्श लायलपुरी
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मुंबई | दुनिया में नक्श लायलपुरी के नाम से पहचाने जाने वाले प्रख्यात उर्दू शायर और गीतकार जसवंत राय शर्मा का रविवार को यहां निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। उनके एक पारिवारिक मित्र ने कहा कि वह कुछ दिनों से बीमार थे और उन्होंने अंधेरी स्थित अपने घर पर सुबह लगभग 11 बजे अंतिम सांस ली।

उनकी अंत्येष्टि रविवार शाम ओशिवरा श्मशान गृह में होगी।

पंजाब के लायलपुर में जन्मे लायलपुरी 1940 के दशक में हिंदी सिनेमा में कॅरियर बनाने के लिए मुंबई पहुंचे थे। लायलपुर अब पाकिस्तान का हिस्सा है।हालांकि, उन्हें गीतकार के रूप में पहला मौका 1952 में मिला था, लेकिन 1970 के दशक प्रारंभ तक उन्हें खास सफलता नहीं मिल पाई थी।

मुंबई में अपने संघर्ष के शुरुआती दिनों में उन्होंने दैनिक जरूरतें पूरी करने के लिए कुछ समय डाक विभाग में भी काम किया था।

उन्होंने कई शीर्ष फिल्म निर्देशकों, संगीत निर्देशकों और गायकों के साथ काम किया और सुमधुर, रूमानी और भावनात्मक गीत लिखे, जो लाखों दिलों को छू गया। लायलपुरी के लिख कुछ सर्वश्रेष्ठ गीतों में 'मैं तो हर मोड़ पर', 'ना जाने क्या हुआ', 'जो तूने छू लिया', 'उल्फत में जमाने की हर रस्म को ठुकरा' और 'दो दीवाने शहर में' शामिल हैं।

बाद के दिनों में गीतों में सतही बातें शामिल करने की मांग से दुखी लायलपुरी ने 1990 के अंतिम दशक में बॉलीवुड से संन्यास ले लिया और टेलीविजन के लिए गीत लिखने लगे थे।

उन्होंने 2005-06 में संक्षिप्त समय के लिए फिल्मों में वापसी की थी और नौशाद के साथ 'ताज महल' और खय्याम के साथ 'यात्रा' जैसी फिल्मों के लिए गीत लिखे थे।


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