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रोजगार के मामले में कांग्रेस से पिछड़ी बीजेपी,छत्तीसगढ़ में घटा बेरोजगारी का स्तर

देश में बेरोजगारी इस वक्त सबसे बड़ी समसया है. जिससे जनता को राहत नहीं मिल रही है

रोजगार के मामले में कांग्रेस से पिछड़ी बीजेपी,छत्तीसगढ़ में घटा बेरोजगारी का स्तर
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देश में बेरोजगारी इस वक्त सबसे बड़ी समसया है. जिससे जनता को राहत नहीं मिल रही है. खासकर बीजेपी शासित राज्यों में बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है. जबकि कांग्रेस शासित राज्य ने देश में मिसाल कायम की है…जीहां सीएमआईई ने जो आंकड़े जारी किए हैं. वो यही बताते हैं कि बीजेपी राज में हाहाकार है, जबकि कांग्रेस में सुधार हो रहा है…तो किस राज्य में कैसा है हाल. महामारी के दौर ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है…एक तरफ आर्थिक समस्या है, तो दूसरी तरफ बेरोजगारी है…देश में करीब 2 करोड़ लोगों का रोजगार जा चुका है…जिससे जनता की मुश्किलें और बढ़ गई है…युवा बार-बार कह रहे हैं, सरकार रोजगार दो…कुछ तो काम दो…लेकिन बीजेपी शासित राज्य सुनने को ही तैयार नहीं हैं. तभी तो आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं…जबकि कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ ने देश में मिसाल कायम की है. सीएमआईई के ताजा आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारी की दर छत्तीसगढ़ में 2 प्रतिशत है. जो देश के बड़े और विकसित राज्यों से काफी कम है…बिहार में 11.9 प्रतिशत, हरियाणा में 19.1 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 4.5 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 9.3 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 4.2 प्रतिशत, झारखण्ड में 8.2 प्रतिशत, ओडिशा में 2.1 , मध्यप्रदेश 3.9 प्रतिशत रही है…ये आंकड़े साफ बयां कर रहे हैं कि सबसे ज्यादा बेरोजगारी बीजेपी शासित बिहार और हरियाणा में है…जबकि छत्तीसगढ़ रोजगार देने में आगे है. इसके पहले छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर जून महीने में 14.4 से घटकर जुलाई में 9 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी थी. महामारी में भी राज्य में लोगों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़कर रखा गया…छत्तीसगढ़ की कामयाबी और इन आंकड़ों से शायद बीजेपी की नींद खुलेगी…क्योंकि पिछले कई महीनों से सरकार आंकड़ों को देखकर भी अनदेखा कर रही है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने कहा था कि अप्रैल-अगस्त के दौरान लगभग 2.1 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारियों ने अपनी नौकरी खो दी. इसमें से अगस्त में लगभग 33 लाख नौकरियां गईं और जुलाई में 48 लाख लोगों ने अपनी नौकरी खो दी….सीएमआईई ने कहा कि नौकरी का नुकसान केवल वेतनभोगी कर्मचारियों के बीच सहायक कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें औद्योगिक कर्मचारी और बड़े कर्मचारी भी शामिल हैं… साल 2019-20 के पूरे साल की तुलना में अगस्त में वेतनभोगी नौकरियां देश में 8.6 करोड़ से घटकर 6.5 करोड़ हो गईं…इनके बाद भी सरकार को समझ नहीं आई. और आज नौबत ये है कि बीजेपी शासित राज्य फिसड्डी हो गए.

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