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शहरी बाढ़: बेंगलुरु के बाद अब पुणे की बारी

पिछले हफ्ते जो हाल बेंगलुरु का हुआ, उसी तरह के दृश्य अब पुणे में दिखाई दे रहे हैं.

शहरी बाढ़: बेंगलुरु के बाद अब पुणे की बारी
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रविवार 11 सितंबर को भारी बारिश के बाद पुणे में कई जगह बाढ़ जैसे स्थिति पैदा हो गई. सोशल मीडिया पर मौजूद कई तस्वीरों और वीडियो को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे कई सड़कें ही नदियों में तब्दील हो गई हों.

कई जगह पानी से लबालब भरी सड़कों पर दुपहिया वाहन तो कहीं गाड़ियां डूब गईं. कई स्थानों पर घरों के अंदर भी पानी घुस जाने की खबर है. यहां तक कि कई इलाकों में तो सरकारी दफ्तरों, पुलिस स्टेशनों और फायर स्टेशनों में भी पानी घुस गया.

कई जगह पेड़ भी गिरे. सड़कों पर पानी लगने और पेड़ गिरने समेत कई कारणों से लंबे लंबे ट्रैफिक जाम भी लग गए. मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि मौसम विभाग ने भारी बारिश का कोई पूर्वानुमान भी जारी नहीं किया था लेकिन शहर के कई इलाकों में दो घंटों में 90 मिलीमीटर से भी ज्यादा बारिश हुई.

भारत के डूबते शहर

पिछले सप्ताह बेंगलुरु में भी इसी तरह के दृश्य देखने को मिले थे. शहर के कई इलाकों में स्थिति इससे भी ज्यादा खराब थी. 24 घंटों में 130 मिलीमीटर बारिश हुई और शहर के कई इलाके डूब गए. करोड़ों रुपयों के बंगलों वाली कॉलोनियों में बंगलों के अंदर तक पानी भर गया था. बाढ़ में कम से कम एक व्यक्ति की जान चले जानी की भी खबर आई थी.

तब जानकारों ने बताया था कि यह मुख्य रूप से शहर के तालाबों और जलाशयों के ऊपर इमारतें बना दिए जाने का नतीजा है. ऐसे में भारी बारिश में आए पानी को निकासी का रास्ता नहीं मिलता और वो जम जाता है. कचरे की वजह से जाम नाले भी पानी को निकलने नहीं देते.

विशेषज्ञों का कहना कि यही हाल भारत के कमोबेश हर शहर का हो रहा है. बेंगलुरु की ही तरह पुणे में भी आईटी क्षेत्र का बहुत विस्तार हुआ है, लिहाजा इस क्षेत्र से जुड़े लोग देश के कोने कोने से आकर यहां बसने लगे. शहर की बढ़ती आबादी का बोझ सहने के लिए शहर का भी विस्तार किया.

2019 में आई थी भयावह बाढ़

बड़े बड़े अपार्टमेंट बनाए गए. शहर की बाहरी सीमा का भी विस्तार किया गया लेकिन शहर को भविष्य में बाढ़ से कैसे बचाया जाए इस पर पर्याप्त काम नहीं हुआ. पुणे में बाढ़ का बड़ा कारण वो छह नदियां भी हैं जो शहर के इर्द गिर्द बहती हैं.

शहर बढ़ते बढ़ते इन नदियों के और पास पहुंच गया है. इन नदियों पर बांध भी बने हुए हैं लेकिन जब इन बांधों के जलाशयों में पानी भर जाता है तो कुछ पानी छोड़ दिया जाता है. यही पानी कुछ ही घंटों में शहर तक पहुंच जाता है और विशेष रुप से शहर के निम्नस्थ इलाके डूब जाते हैं.

2019 में भी ऐसा ही हुआ था जिसके बाद शहर में भीषण बाढ़ आ गई थी. बाढ़ में कम से कम 20 लोगों की जान चली गई थी. इस बार बाढ़ ने 2019 जैसा विकराल रूप तो नहीं लिया है लेकिन बाढ़ की जिम्मेदार समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं.


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