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उत्तरी दिल्ली निगम स्थायी समिति की बैठक में भलस्वा लैंडफिल पर ट्रॉमल मशीनों पर हंगामा

उत्तरी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति की बैठक में भलस्वा लैंडफिल पर ट्रॉमल मशीन के संचालन के मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के पार्षद के बीच तीखी बहस हुई

उत्तरी दिल्ली निगम स्थायी समिति की बैठक में भलस्वा लैंडफिल पर ट्रॉमल मशीनों पर हंगामा
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नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति की बैठक में भलस्वा लैंडफिल पर ट्रॉमल मशीन के संचालन के मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के पार्षद के बीच तीखी बहस हुई। स्थायी समिति के नवनिर्वाचित अध्यक्ष जोगीराम जैन की अध्यक्षता में तीन महीने बाद पहली बैठक हुई तो जमकर बवाल कटा। इस बैठक में बरसात में जलभराव की समस्या, नालों की सफाई आदि मुद्दों पर चर्चा हुई। इतना ही नहीं, विपक्ष और सत्ता पक्ष के पार्षदों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए।

दरअसल, भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़े के निस्तारण के लिए ट्रॉमल मशीन किराए पर लेने के प्रस्ताव को मंजूरी पर आज जमकर हंगामा कटा, विपक्ष के पार्षद विक्की गुप्ता ने प्रस्ताव का विरोध किया।

इससे पहले एक प्रेस वार्ता में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के 'आप' नेता विपक्ष विकास गोयल ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, भाजपा की निगम ने भ्रष्टाचार करने का तरीका बदला, अब मशीनों को प्रति मीट्रिक टन कूड़े की प्रॉसेसिंग पर 306 रुपये देगी। 17.70 लाख रुपये कीमत की मशीन का मासिक किराया 18.36 लाख रुपये देगी भाजपा शासित एमसीडी।

हालांकि बैठक के दौरान उत्तरी निगम के स्थायी समिति अध्यक्ष जोगीराम जैन ने कहा, आने वाले 20-22 माह में भलस्वा लैंडफिल पूरी तरह साफ हो जाएगी।

इसके बाद 2 बजे हुई उत्तरी निगम की स्थायी समिति की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई। चर्चा के दौरान आप द्वारा लगाए गए आरोपों को भृमित करने वाला बताया गया। इसके बाद इस मसले पर पर्यावरण प्रबंधंन सेवाएं विभाग के निदेशक प्रदीप बंसल को स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया।

बंसल द्वारा साझा की गई जानकरी के अनुसार, ट्रामल मशीनों का कोई किराया नहीं लिया जा रहा है। अब जो मशीनें लगाई जा रही है उन्हें निस्तारित किए गए कूड़े के 306 रुपये टन के हिसाब से भुगतान किया जाएगा।

वर्तमान में भलस्वा लैंडफिल पर 25 मशीनें लगी हैं। 79 मशीनें यहां लगाने की योजना है। एक मशीन को कम से कम छह हजार टन कूड़े का प्रतिमाह निस्तारण करना होगा। इससे कम निस्तारण करने पर 60 हजार का जुर्माने का प्रावधान होगा। इसके लिए 31 कंपनियों को ट्रॉमल लगाने को कहा गया है।


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