Top
Begin typing your search above and press return to search.

ओडिशा विधानसभा में हंगामा, सदन की कार्यवाही स्थगित

ओडिशा विधानसभा में सोमवार को उस समय हंगामा हुआ जब विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और सत्ता पक्ष के सदस्यों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए और नारे लगाए, जिससे अध्यक्ष प्रमिला मलिक को सदन की कार्यवाही अपराह्न चार बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

ओडिशा विधानसभा में हंगामा, सदन की कार्यवाही स्थगित
X

भुवनेश्वर । ओडिशा विधानसभा में सोमवार को उस समय हंगामा हुआ जब विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और सत्ता पक्ष के सदस्यों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए और नारे लगाए, जिससे अध्यक्ष प्रमिला मलिक को सदन की कार्यवाही अपराह्न चार बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

विधानसभा अध्यक्ष को आज दो बार सदन स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। पहले सुबह 10:33 बजे से 11:30 बजे तक और फिर 11:50 बजे से शाम चार बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी क्योंकि भाजपा और बीजू जनता दल दोनों दलों के सदस्यों ने अपनी सीटों से नारेबाजी करते हुए सदन में हंगामा खड़ा कर दिया।

प्रश्नकाल शुरू करने के लिए सुबह साढ़े दस बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्ष के मुख्य सचेतक मोहन माझी के नेतृत्व में भाजपा सदस्य वेल में आ गए और सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे।

भाजपा सदस्यों ने बिना कोई कारण बताए स्थगन प्रस्ताव की स्वीकार्यता पर बहस के लिए अध्यक्ष की ओर से उनके नोटिस को अस्वीकार करने का विरोध किया। उन्होंने इस मुद्दे पर हंगामा किया और मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की कि कौन श्रेष्ठ है, मंत्री या सचिव?

भाजपा सदस्यों का मुकाबला करने के लिए सत्तारूढ़ बीजद सदस्यों ने केंद्र सरकार की लापरवाही और कटक-संबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य पूरा नहीं होने का आरोप लगाया। सदन में नारों और हंगामों के बीच अध्यक्ष ने सबसे पहले इसे 1033 बजे से 1130 बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

स्थगन के बाद जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया क्योंकि जब अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को बयान देने के लिए बुलाया तो भाजपा सदस्य फिर से आसन के सामने आ गये और नारे लगाने लगे।

उत्तेजित भाजपा सदस्यों ने सदन में ‘लोकतंत्र की हत्या अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी’ के नारे लगाते हुए हंगामा किया और मुख्यमंत्री से यह स्पष्ट करने की मांग की कि कौन श्रेष्ठ है, ‘सचिव या मंत्री।’

हंगामे की स्थिति के बीच मुख्यमंत्री ने एक बयान पढ़ा जो सुनने में नहीं आया। मुख्यमंत्री ने जैसे ही अपनी बात पूरी की विपक्ष के नेता जयनारायण मिश्र विधानसभा अध्यक्ष की ओर से खारिज किये गये भाजपा सदस्यों के सवालों को पढ़ते दिखे।

कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा भी खड़े हो गए और कुछ कहा जो सदन के वेल के अंदर नारेबाजी के कारण सुनाई नहीं दे सका। बीजद नेताओं ने अपनी-अपनी सीटों पर खड़े होकर केंद्र सरकार पर राज्य की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। सदन जल्द ही अराजक स्थिति में आ गया जिसके कारण अध्यक्ष को 11:50 बजे सदन की बैठक शाम चार बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

सदन के बाहर विपक्ष के मुख्य सचेतक मोहन माझी ने कहा कि भाजपा ने मुख्यमंत्री के सचिव के विभिन्न जिलों के दौरे के दौरान हुए खर्च के बारे में सवाल पूछा था लेकिन अध्यक्ष ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर सवाल खारिज हो जाएगा तो फिर प्रश्नकाल क्यों होना चाहिए।

श्री माझी ने ट्रेजरी बेंच के सदस्यों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पर्याप्त फंड मुहैया कराया है।

कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा ने हालांकि, कहा कि भाजपा और बीजद सदस्य नकली झगड़े में शामिल हैं।

श्री मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री को बयान देने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि सरकार विभिन्न आरोपों से परेशान है।

उन्होंने आरोप लगाया कि न तो राज्य में और न ही देश में कोई लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि ओडिशा विधानसभा का संचालन लोकतांत्रिक परंपरा के अनुसार नहीं किया जा रहा है और उन्होंने मुख्यमंत्री के बड़े-बड़े दावों पर सवाल उठाया कि उनकी सरकार ने शिकायत बैठकें आयोजित करके लोगों की समस्याओं को काफी हद तक हल किया है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it