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उप्र : आईएएस आकांक्षी की मौत के लिए परिवार ने पुलिस को जिम्मेदार बताया

दोनों को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां अनस को मृत घोषित कर दिया गया और सुलेमान की इलाज के दौरान मौत हो गई

उप्र : आईएएस आकांक्षी की मौत के लिए परिवार ने पुलिस को जिम्मेदार बताया
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बिजनौर| नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 20 दिसंबर को यहां कथित रूप से पुलिस की गोलीबारी में मारे गए एक आईएएस आकांक्षी युवक के परिजनों ने इसके लिए छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराया है। बिजनौर जिले के नाहतौर गांव में जब 20 दिसंबर को हिंसा भड़की तो अनस (21) और सुलेमान (20) कथित रूप से पुलिस की गोलीबारी में घायल हो गए।

दोनों को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां अनस को मृत घोषित कर दिया गया और सुलेमान की इलाज के दौरान मौत हो गई। बाद में पुलिस ने स्वीकार किया कि उनकी गोली से सिर्फ अनस की मौत हुई, सुलेमान की नहीं हुई सुलेमान के परिजनों ने अब छह पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है कि सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान वह पुलिस गोलीबारी में घायल हो गया था। शिकायत के अनुसार, सुलेमान के परिवार ने आरोप लगाया है कि जुमे की नमाज के बाद वह घर लौट रहा था, जब उसे थाना प्रभारी (एसएचओ) राजेश सोलंकी, बिजनौर प्रभारी आशीष तोमर और कुछ कांस्टेबलों ने रोक लिया।

परिवार ने दावा किया कि पुलिसकर्मियों ने सुलेमान को एक गली में खींच लिया, जहां मोहित नामक एक कांस्टेबल ने अन्य पुलिस अधिकारियों के आदेश पर सुलेमान को गोली मार दी। शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि यह घटना वहां कई लोगों ने देखी, और वे लोग पुलिस के डर से कुछ नहीं बोल रहे हैं। सुलेमान के परिवार ने दावा किया कि पुलिस उसे गली में ही छोड़ गई, जहां सुलेमान के परिजन पहुंचकर उसे अस्पताल ले गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराया और 21 दिसंबर को शव परिजनों के हवाले कर दिया।

आरोप है कि पुलिस ने सुलेमान के परिजनों को उसका शव उसके पैत्रिक गांव नाहतौर में नहीं दफनाने दिया। सुलेमान के परिजनों के अनुसार, वह सिविल सेवा की तैयारी कर रहा था और उसका सीएए विरोध प्रदर्शन से कोई मतलब नहीं था। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओम प्रकाश सिंह ने स्वीकार किया है कि राज्य में पुलिस की गोलीबारी में सिर्फ एक व्यक्ति की मौत हुई है। सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों की भिड़ंत से प्रभावित जिलों में बिजनौर भी प्रमुख था।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहले ही एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित कर दी है, जो प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मालमों की जांच करेगी।


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