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दिल्ली से यूपी ने ली प्रेरणा, सरकारी स्कूलों की सूरत संवारने का अभियान शुरू

दिल्ली में सरकारी स्कूलों की बेहतर व्यवस्था राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आई तो अब उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी स्कूलों की सूरत संवारने की तैयारी शुरू की है

दिल्ली से यूपी ने ली प्रेरणा, सरकारी स्कूलों की सूरत संवारने का अभियान शुरू
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नई दिल्ली। दिल्ली में सरकारी स्कूलों की बेहतर व्यवस्था राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आई तो अब उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी स्कूलों की सूरत संवारने की तैयारी शुरू की है। योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से स्कूलों के बजट में बढ़ोतरी को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। स्कूलों को आधुनिक बनाने के लिए गोरखपुर से शुरू हुई कायाकल्प योजना का भी सरकार पूरे प्रदेश में विस्तार करने में जुटी है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीते दिनों जब बजट जारी किया तो 2020-21 के लिए शिक्षा मद में 71 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की। इसमें प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग का बजट शामिल है। देखा जाए तो पिछले वर्ष की तुलना में सरकार ने शिक्षा का बजट करीब तीन हजार करोड़ रुपये बढ़ाया है।

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए सरकार ने जहां प्राथमिक शिक्षा के लिए 53990 करोड़ की व्यवस्था की थी, वहीं इस बार 55064.55 करोड़ बजट रखा है। माध्यमिक शिक्षा विभाग में पिछली बार 11534.65 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया था इस बार सरकार ने 12988.9 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। उच्च शिक्षा के बजट को भी योगी सरकार ने 2896.67 करोड़ से बढ़ाकर 3651.66 करोड़ किया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर में सबसे पहले प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल विद्यालयों की सूरत संवारने के लिए कायाकल्प योजना शुरू की थी। इसमें जर्जर भवन वाले स्कूलों में भवन निर्माण, बच्चों के बैठने के लिए डेस्क, बेंच सहित अन्य तमाम सुविधाओं पर काम किया गया। यहां सफलता मिलने के बाद प्रदेश के सभी जिलों में कायाकल्प योजना पर काम शुरू हुआ है।

बरेली में भी इस योजना के तहत स्कूलों की व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है। बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने इस बात को खारिज किया कि यूपी सरकार ने दिल्ली से प्रेरणा लेकर सरकारी स्कूलों की हालत ठीक करने की कोशिश की है। उनका कहना है कि यूपी सरकार बहुत पहले से इस दिशा में काम कर रही है। चूंकि यूपी में डेढ़ लाख से ज्यादा बेसिक स्कूल हैं, ऐसे में व्यवस्थाएं ठीक करने में समय लगता है।


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